पिछले एक साल में, अधिकांश डेट फंड श्रेणियों का प्रतिफल 5 प्रतिशत से नीचे हो गया है वहीं दूसरी तरफ क्रेडिट जोखिम फंड ने 8.4 फीसदी का प्रतिफल दिया जो कम रेटिंग वाले पेपर में निवेश करते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार, कॉरपोरेट जगत की अच्छी स्थिति और अपग्रेड-डाउनग्रेड अनुपात में सुधार से बेहतर प्रतिफल मिला है। आईएलऐंडएफएस और येस बैंक के प्रकरण से पिछले तीन सालों तक इन फंडों पर असर दिखा लेकिन पिछले एक साल में म्युचुअल फंड उद्योग में कोई बड़ी चूक देखने को नहीं मिली है।
फिलिप कैपिटल फिक्स्ड इनकम डेस्क के सलाहकार जयदीप सेन ने कहा, ‘क्रेडिट रिस्क फंड की परिपक्वता अवधि और प्रतिफल (वाईटीएम) का अनुपात हमेशा ही नियमित फंड की तुलना में ज्यादा था। ऐसे में जब तक कोई चूक नहीं होती तब प्रतिफल संग्रह का स्तर वैसे भी अधिक है।’
प्राइम इन्वेस्टर में संस्थापक साझेदार और अनुसंधान और उत्पाद प्रमुख विद्या बाला के अनुसार, इस तरह के फंडों का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य एक साल पहले काफी प्रभावित हुआ था क्योंकि इनमें से कुछ पर ग्रेडिंग कम होने का असर था और साथ ही नकदी से जुड़ा संकट भी था। बाला ने कहा, ‘इन फंडों का आधार ही कम है ऐसे में एक साल का प्रतिफल ज्यादा लग सकता है।’ उन्होंने कहा कि क्रेडिट रिस्क फंड से मिलने वाला प्रतिफल कॉरपोरेट बॉन्ड फंड की तुलना में काफी अधिक है और दर के कम होने के इस दौर में बेहतर गुणवत्ता वाले बॉन्ड का प्रतिफल क्रेडिट रिस्क श्रेणी की तुलना में काफी कम हो गया है। ऐसे में फंड की परिपक्वता अवधि और प्रतिफल का अनुपात काफी अधिक है।
अन्य सभी श्रेणियों में या तो कम प्रतिफल गुणवत्ता वाले बॉन्ड हैं या लंबी अवधि के कॉमर्शियल पेपर हैं जो कम ब्याज दरों के माहौल में बेहतर प्रदर्शन में सक्षम नहीं हैं। अपग्रेड-डाउनग्रेड अनुपात में पिछले छह महीनों से सुधार देखने को मिला है। जून में समाप्त तिमाही में बैंकों के फंसे कर्जों के आंकड़े परिसंपत्ति गुणवत्ता विशेष रूप से खुदरा और छोटे और मझोले क्षेत्रों (एमएसएमई) में दबाव का संकेत देते हैं। हालांकि, म्युचुअल फंडों का छोटे और मझोले क्षेत्रों में निवेश नहीं है और यह सकारात्मक है।
सेन ने कहा, ‘जिन निवेशकों की क्षमता और क्रेडिट रिस्क फंड से जुड़ी समझ है वे इस पर गौर कर सकते हैं बशर्ते वे पोर्टफोलियो के नामों के साथ सहज हों और उन फंडों को तरजीह दे सकें जो बिन किसी बड़े जोखिम के भी अंतिम चक्र से निकल गए हों।’ बाला के मुताबिक, क्रेडिट रिस्क फंड ने अपनी पिछली गलतियों से भी सीखा है।
वह कहती हैं, ‘क्रेडिट रिस्क फंड उन लोगों के लिए नहीं है जो डेट का इस्तेमाल किसी बचाव के रूप में करना चाहते हैं बल्कि यह फंड पांच साल की समय-सीमा के साथ ज्यादा जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए है।’ साल 2018 में आईएलऐंडएफ के दिवालिया होने के बाद ही क्रेडिट रिस्क फंड सुर्खियों में आया।