द्वितीयक कॉरपोरेट ऋण बाजार में नकदी का अभाव एक वैश्विक मुद्दा है। इसलिए प्राथमिक बाजार को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर रवि शंकर ने बुधवार को बंबई चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नियामकों और सरकार के ठोस प्रयासों के चलते मार्च, 2022 तक कॉरपोरेट बॉन्ड बकाया बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
यह आंकड़ा मार्च, 2012 में 10.4 लाख करोड़ रुपये था। इस दौरान वार्षिक निर्गम चार लाख करोड़ रुपये से बढ़कर छह लाख करोड़ रुपये हो गया।
इसी अवधि में द्वितीयक बाजार का आकार 4.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 14 लाख करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कहा कि सिर्फ अमेरिका के पास बेहद नकदीकृत द्वितीयक कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार है और भारत का बाजार दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी बाजार बहुत बड़ा है। क्योंकि वहां इसकी अगुवाई कॉरपोरेट और नगर पालिकाओं द्वारा की जाती है। भारत में इनकी हिस्सेदारी बेहद कम है।