बिजली कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ हफ्तों से आ रही तेजी ने विश्लेषकों को इस क्षेत्र को लेकर सतर्क कर दिया है और उनका सुझाव है कि इन शेयरों में नया निवेश दो से तीन साल के निवेश नजरिये से किया जाना चाहिए। पिछले महीने एसऐंडपी बीएसई पावर इंडेक्स में 6 फीसदी की उछाल आई थी और उसने सेंसेक्स को पीछे छोड़ दिया था, जिसमें करीब एक फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। टाटा पावर, एनटीपीसी, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और पावर ग्रिड में इस दौरान 9 से 22 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली। यह जानकारी एस इक्विटी के आंकड़ों से मिली।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, हम पूरे क्षेत्र को एक ही नजरिये से नहीं देख सकते। इनमें आ रही तेजी को देखते हुए सतर्कता जरूरी है, लेकिन बिजली क्षेत्र के ज्यादातर शेयरों का मूल्यांकन वर्षों से आकर्षक रहा है लेकिन अब इनमें तेजी आनी शुरू हुई है। इसके अतिरिक्त टाटा पावर और एनटीपीसी के शेयरों में मजबूती खबरों की वजह से आई क्योंंकि टाटा पावर ने सौर ऊर्जा में प्रवेश किया जबकि एनटीपीसी अपनी सहायक की सूचीबद्धता को लेकर खबरों में रही। उन्होंने कहा कि इन शेयरों में नया निवेश का यह वक्त नहीं है, यह उनके लिए है जो इनमें निवेशित बने रह सकते हैं।
पिछले हफ्ते टाटा पावर 13 साल के उच्चस्तर 165 रुपये पर इस खबर के बाद पहुंच गया कि कंपनी रूफटॉप सोलर व माइक्रोग्रिड्स, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, होम ऑटोमेशन और स्मार्ट मीटर आदि के जरिये कारोबार की रफ्तार बढ़ाना चाहती है।
दूसरी ओर एनटीपीसी की योजना अपनी तीनों सहायकों एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम, नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन और एनटीपीसी रीन्यूएबल एनर्जी को सूचीबद्ध कराना चाहती है ताकि परिसंपत्ति के मुद्रीकरण (15,000 करोड़ रुपये) के सरकारी लक्ष्य को हासिल कर सके।
कैसे हैं हालात
एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स के मुताबिक, भारत में बिजली की मांग हालांकि बढ़ रही है, लेकिन फिजिकल कोल स्टॉक निचले स्तर को छू गया है और देश के बिजली क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। भारत में बिजली की औसत मांग 1 अगस्त से 23 अगस्त के बीच सालाना आधार पर बढ़कर 23 गीगावॉट से 186 गीगावॉट पर पहुंच गई। उसका अनुमान है कि अक्टूबर से दिसंबर 2021 में बिजली की औसत मांग 167 गीगावॉट होगी, जो सालाना आधार पर 12 गीगावॉट ज्यादा है।
सेंट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी के मुताबिक, देश मे कोयले का कुल स्टॉक 2021 की शुरुआत में 3,74 करोड़ टन था। 27 सितंबर तक यह घटकर 83.17 लाख टन रह गया है, जो पांच दिन के लिए ही पर्याप्त है। इंडोनेशिया के कोयले की कीमत 1 जनवरी के 44.4 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के मुकाबले 125.34 फीसदी बढ़कर 29 सितंबर को 100.05 डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर पहुंंच गया। प्लैट्स ने यह जानकारी दी।
विश्लेषकों ने हालांकि कहा कि कोयले की किल्लत और कीमतों में बढ़ोतरी अल्पावधि की प्रवृत्तियां हैं, लेकिन बिजली क्षेत्र के शेयरों में उछाल थोड़ा सतर्कता बरतने को कह रही है। कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के मुताबिक, इलेक्ट्रिक यूटिलिटी मसलन एनटीपीसी और पावर ग्रिड विनियमित हैंं और अपने-अपने इक्विटी आधार से जुड़े हैं, वहीं डाउनस्ट्रीम तेल कंपनियां जोखिम भरी हो सकती हैं अगर वे कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के मुताबिक वाहनों के ईंधन की खुदरा कीमतें बढ़ाने में असमर्थ रहती हैं।