भले ही स्थानीय अधिकारी चीन के एवरग्रैंड ग्रुप संकट (जिससे पूरे वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता पैदा हो सकती है) के प्रभाव को दूर करने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि भारत में संरचनात्मक तेजी बनी रहेगी। उन्होंने अपने एशिया एक्स-जापान लॉन्ग ओनली पोर्टफोलियो के लिए बजाज फाइनैंस में हिस्सेदारी 1 प्रतिशत अंक तक बढ़ाई है। वुड ने इस महीने के शुरू में कंपनी में ये शेयर खरीदे।
वुड ने निवेशकों के लिए अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ग्रीड ऐंड फियर में लिखा है, ‘निजी क्षेत्र-केंद्रित पूंजीगत खर्च चक्र में सुधार आ रहा है। इसके अलावा रोजगार सृजन में वृद्घि भी सकारात्मक बदलाव है। भारत में आय के संदर्भ में भी मुख्य केंद्र बिंदु बनने की संभावना है।’
शुक्रवार को बीएसई का सेंसेक्स पहली बार 60,000 के निशान पर पहुंच गया। तरलता-आधारित इस तेजी से सूचकांक को इस साल अब तक 25 प्रतिशत चढऩे में मदद मिली है। वहीं मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में अच्छी तेजी दर्ज की गई। ये सूचकांक इस अवधि के दौरान 42 प्रतिशत और 55 प्रतिशत चढ़े।
गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों का मानना है कि आईपीओ को लेकर उत्साह की वजह से भी पूंजी प्रवाह भविष्य में मजबूत बना रहेगा। इन विश्लेषकों ने अपनी ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘हमें अगले दो-तीन साल के दौरान एमएससीआई इंडिया में कई यूनिकॉर्न को शामिल किए जाने की संभावना से 12 अरब डॉलर की खरीदारी का अनुमान है। मजबूत निवेशक मांग और पूंजी प्रवाह से इक्विटी मूल्यांकन ऊंचा बना रह सकता है।’
तेजी के लिए जोखिम
वुड के अनुसार, कोविड की अगली लहर के जोखिम के साथ साथ भारतीय शेयर बाजार के लिए मुख्य घरेलू जोखिम आरबीआई के रुख में बदलाव को लेकर है।
जहां आरबीआई ने ताजा बैठकों में अपना मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाया है, वहीं उसने नीतिगत नजरिये में बदलाव का संकेत नहीं दिया है। आरबीआई ने इस वित्त वर्ष के लिए अपना सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान अगस्त में हुई अपनी नीतिगत बैठक में 5.7 प्रतिशत कर दिया, जो जून के 5.1 प्रतिशत से ज्यादा है।
अनिश्चितताओं से दबाव
वुड का कहना है कि एवरग्रैंडे घटनाक्रम का वॉल स्ट्रीट से संबंधित वैश्विक बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वुड ने लिखा है, ‘एवरग्रैंडे के गंभीर नकदी संकट (फरवरी से उसकी शेयर कीमत में 86 प्रतिशत की बड़ी गिरावट से अंदाजा लगाया जा सकता है) तब से बरकरार है, जब से चीन ने अगस्त 2020 में अपनी ‘थ्री रेड लाइंस’ नीति पेश की है और कुछ खास प्रॉपर्टी डेवलपरों को विशेष वित्तीय अनुपात की पुष्टि करने को कहा है।’
