केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्णा से पूछताछ की और चित्रा सहित एनएसई के तीन पूर्व अधिकारियों के देश छोड़कर जाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
सीबीआई के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘नए तथ्यों के सामने आने के मद्देनजर सीबीआई ने चित्रा से पूछताछ की है। इसके साथ ही चित्रा रामकृष्णा, आनंद सुब्रमण्यन (पूर्व समूह परिचालन अधिकारी) और रवि नारायण (पूर्व वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक) के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है ताकि वे देश छोड़कर न जा सकें।’
अधिकारी ने आगे कहा कि सीबीआई सुब्रमण्यन और नारायण से भी जल्द पूछताछ कर सकती है। इससे एक दिन पहले आयकर विभाग ने कथित वित्तीय अनियमितताएं एवं कर चोरी के आरोपों के साक्ष्य जुटाने के लिए चित्रा और सुब्रमण्यन के परिसरों पर छापा मारा था। आयकर की यह कार्रवाई भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट से हुए खुलासे के बाद की गई थी। सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चित्रा ने 2013 से 2016 के बीच एनएसई के अहम निर्णय एक अज्ञात ‘हिमालयन योगी’ की सलाह पर किए थे, जिसे वह कभी मिली नहीं थी। हालांकि उसके निर्देश पर ही सुब्रमण्यन को समूह परिचालन अधिकारी नियुक्त किया गया था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सुब्रमण्यन की नियुक्ति को मानव संसाधन विभाग द्वारा मंजूर नहीं किए जाने के बावजूद वह बाहर से प्रेरित होकी एनएसई के कामकाज को प्रभावित कर रहे थे। को-लोकेशन सर्वर के इस्तेमाल के जरिये एल्गो ट्रेडिंग और सुब्रमण्यन की नियुक्ति में अपने अधिकार का दुरुपयोग करने के आरोप में चित्रा को 2016 में एनएसई छोडऩा पड़ा था।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि नवीनतम जांच को-लेाकेशन मामले में सीबीआई द्वारा 28 मई, 2018 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की जा रही है। चार साल पुरानी प्राथमिकी मुख्य रूप से ओपीजी सिक्योरिटीज के संजय गुप्ता के खिलाफ थी और इसमें उनके साले अमन कोकार्डी और अजय शाह का भी नाम था, जो एनएसई में डेटर विशेषज्ञ और शोधकर्मी थे। इसके साथ ही एनएसई और सेबी के अज्ञात अधिकारियों को भी नामजद किया गया था।
जून 2010 से मार्च 2014 के बीच एनएसई ने तथाकथित टीबीटी ढांचा जिसे को-लोकेशन सुविधा कहा जाता है, उसे लागू किया था। इसमें को-लोकेशन सर्वर पर पहले कनेक्ट होने वाले ट्रेडिंग सदस्यों को तरजीह जाती थी।
इस प्रणाली का लाभ उठाकर ओपीजी सिक्योरिटीज अक्सर एक्सचेंज सिस्टम में पहले प्रवेश कर जाती थी। इस मामले को व्हिसलब्लोअर केन फॉन्ग ने उजागर किया था, जिन्होंने जनवरी, अगस्त और अक्टूबर, 2015 में सेबी को तीन शिकायती पत्र भेजे थे। इसके बाद नियामक ने कई जांच फॉरेंसिक ऑडिट की कार्रवाई शुरू की थी। अप्रैल 2019 में सेबी ने को-लोकेशन सुविधा में खामियों और चुनिंदा ब्रोकरों को अनुचित एक्सेस की अनुमति देने के मामले में एनएसई को 625 करोड़ रुपये और 2014 से 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ जमा का निर्देश दिया था। सेबी ने इस अवधि के दौरान नारायण और चित्रा को एक चौथाई वेतन वापस करने को कहा।
