बढ़ती तेल कीमतें मौजूदा समय में टायर, पेंट और एयरलाइन जैसे क्षेत्रों के लिए सुर्खियां बन गई हैं। इसकी वजह यह है कि ये क्षेत्र अपने कच्चे माल के तौर पर कच्चे तेल और उसके सह-उत्पादों पर अधिक निर्भर रहते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इन कंपनियों के लिए अल्पावधि परिदृश्य कमजोर हुआ है। परिचालन लागत में कच्चे तेल और उसके डेरिवेटिव का 30 से 50 प्रतिशत योगदान होने की वह से इनका परिचालन मार्जिन आने वाली तिमाहियों में दबाव से ग्रसित हो सकता है।
जीसीएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष रवि सिंघल ने कहा, ‘बढ़ती कच्चे तेल की कीमतें तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी), पेंट, टायर और विमानन संबंधित शेयरों के लिए नकारात्मक हैं, क्योंकि ये कंपनियां या तो कच्चे माल या निर्णायक उत्पादों के उत्पादन या सेवाओं के लिए प्रमुख उत्पाद मिश्रण से जुड़ी हुई हैं।’ सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें चढ़कर सात वर्षों से भी ज्यादा के अपने ऊंचे स्तरों पर पहुंच गई। इन आशंकाओं के बीच इनमें तेजी आई कि रूस-यूक्रेन विवाद से प्रतिबंधों को बढ़ावा मिल सकता है और ऊर्जा निर्यात प्रभावित हो सकता है।
दिन के कारोबार में कच्चे तेल का वायदा और अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) 95.91 डॉलर और 94.92 डॉलर के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया, और विश्लेषक इनमें मौजूदा स्तरों से और ज्यादा तेजी देख रहे हैं। वैश्विक ब्रोकरेज यूबीएस द्वारा जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मौजूदा परिवेश में, हम यह मान रहे हैं कि रूसी तेल उत्पादन और निर्यात का 10-20 प्रतिशत प्रभावित हुआ है, जिससे ब्रेंट कीमतें बढ़कर 125 डॉलर पर पहुंच गईं।’ बीपी स्टैटिस्टिकल रिव्यू ऑफ वल्र्ड एनर्जी के अनुसार, रूस तेल का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्ष 2020 में वैश्विक बाजार में इनमें इसकी 12 प्रतिशत और करीब 17 प्रतिशत भागीदारी रही।
रूस से तेल निर्यात पर किसी तरह के दबाव से जिंस कीमतों में और तेजी आ सकती है जिससे दुनियाभर में मुद्रास्फीति की समस्या गंभीर हो सकती है और बाजारों पर प्रभाव देखा जा सकता है। तेल एक साल पहले के मुकाबले 51 प्रतिशत और इस साल अब तक के आधार (वाईटीडी) पर 25 प्रतिशत ऊपर है। इसके विपरीत, संबंधित कंपनियों के शेयर वाईटीडी आधार प 16 प्रतिशत तक गिरे हैं, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक में 0.12 प्रतिशत की तेजी आई। एसीई इक्विटी के आंकड़े से पता चलता है कि व्यक्तिगत तौर पर, कंसाई नैरोलैक, जेके टायर, सिएट, इंडिगो पेंट्स, स्पाइसजेट, बर्जर पेंट्स और एमआरएफ में वाईटीडी आधार पर 7 प्रतिशत से 15.8 प्रतिशत के बीच गिरावट आई। तेजी के संदर्भ में, जिंदल ड्रिलिंग ऐंड इंडस्ट्रीज, और हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन जैसी तेल अन्वेषण कंपनियों में 13.5 प्रतिशत और 59 प्रतिशत की तेजी आई।
विश्लेषकों ने विमानन को छोड़कर इन क्षेत्रों से दीर्घावधि के नजरिये से अच्छी गुणवत्ता वाले शेयर खरीदने का सुझाव दिया है, क्योंकि दबाव मध्यावधि में समाप्त होने की संभावना है। रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (वीपी) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘बढ़ती तेल कीमतें इन क्षेत्रों के लिए मुख्य चिंताओं में से एक हैं, क्योंकि इनके मार्जिन प्रभावित हुए हैं और निकट भविष्य में इन पर दबाव पडऩे की आशंका है।’
