बीएस बातचीत
मुद्रास्फीति में तेजी के जोखिम को कच्चे तेल की कीमतों में वृद्घि से बढ़ावा मिला है, जिससे आरबीआई के लिए मध्य 2022 तक ब्याज दर वृद्घि के संदर्भ में मजबूत आधार तैयार हुआ है। इसे ध्यान में रखते हुए विवित्री ऐसेट मैनेजमेंट में मुख्य निवेश अधिकारी सौमेंद्र घोष ने लवीशा दराड़ को बताया कि हेल्ड-टु-मैच्युरिटी (एचटीएम) रणनीति से निवेशकों को जोखिम प्रबंधन में काफी हद तक मदद मिल सकती है। बातचीत के मुख्य अंश:
भूराजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए डेट बाजार की उम्मीदें और परिदृश्य क्या हैं?
रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा टकराव के लिए भारत की अनिश्चितता का कच्चे तेल की कीमतों पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। दरअसल, कोविड के बाद वैश्विक वृद्घि में सुधार और रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती भारतीय निर्यात के लिए अनुकूल साबित हो सकते हैं। अतिरिक्त तरलता और कमजोर आपूर्ति शृंखला की वजह से मुद्रास्फीति में तेजी का जोखिम कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण बढ़ा है। यह मध्य-2022 तक आरबीआई द्वारा ब्याज दर वृद्घि के लिए मजबूत आधार है। वहीं अमेरिकी फेडरल इस महीने ब्याज दरें बढ़ा सकता है और यूरोपीय केंद्रीय बैंकों ने अपना बॉन्ड खरीदारी कार्यक्रम उम्मीद से पहले समाप्त करने का संकेत दिया है।
कौन सी बॉन्ड श्रेणी आकर्षक दांव साबित होगी?
‘बाय एंड सोल्ड’ रणनीति फंड प्रबंधन का मुख्य सिद्घांत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि क्लोज-एंडेड स्ट्रक्चर्स में हेल्ड-टु-मैच्युरिटी (एचटीएम) रणनीति मार्क-टु-मार्केट जोखिम की घटती चिंताओं के साथ बढ़ती ब्याज दरों के बीच अच्छा काम करती है।
वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) की स्थिति कैसी है?
सभी एआईएफ के 20 प्रतिशत भागीदारी होने के बावजूद, डेट एआईएफ ने महामारी की वजह से पैदा हुए दबाव के कारण पिछले वर्षों में अच्छी लोकप्रियता हासिल की है। वैश्विक तरलता सामान्य होने से बाजारों में ढांचागत अवसर तेज होने की संभावना है। क्षेत्र के अंदर, प्रदर्शन ऋण ढांचागत अवसर हैं, और इनमें ज्यादा रिस्क-समायोजित प्रतिफल है। निवेशकों के नजरिये से, एआईएफ (जो एचटीएम रणनीति का इस्तेमाल करते हैं और क्लोज-एंडेड फंडों का परिचालन करते हैं) ओपन एंडेड फंडों के मुकाबले प्राप्ति योग्य रणनीतियों के लिहाज से बेहतर स्थिति में हैं।
क्या आप कोई नया डेट फंड पेश करने की योजना बना रहे हैं?
हम ‘परफॉर्मिंग क्रेडिट’ के ढांचागत अवसर को देखते हुए कई जोखिम दायरों में अच्छे फंड तैयार करने पर जोर दे रहे हैं। ये फंड निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 8-16 प्रतिशत (रुपये) और 5-10 प्रतिशत (अमेरिकी डॉलर) के जोखिम समायोजित प्रतिफल के दायरे में हैं।