तकरीबन आठ साल बाद सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) की मदद से ब्रोकरेज फर्म फर्स्ट ग्लोबल शेयरब्रोकरिंग को वे दस्तावेज मिल गए हैं।
जिसके आधार पर बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड(सेबी)ने फर्म के खिलाफ मामला बनाया था। सेबी का आरोप था कि ब्रोकरेज फर्म बाजार गिरने की जानकारी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया।
न्यूज वेबसाइट तहलका ने फरवरी 2001 के दूसरे पखवाड़े से लेकर मार्च के दूसरे पखवाड़े तक शेयर बाजार में गिरावट को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन किया। उक्त वेबसाइट में फर्स्ट ग्लोबल की तकरीबन 14.5 फीसदी हिस्सेदारी थी।
सेबी के मुताबिक फर्म को पहले से ही स्टिंग की जानकारी थी जिसकी वजह से बाजार में गिरावट आई। फर्स्ट ग्लोबल ने इस जानकारी का फायदा उठाते हुए जमकर बिक्री कर मुनाफा कमाया।
फर्स्ट ग्लोबल को आरटीआई के तहत जो दस्तावेज मिला है उसमें हकीकत सेबी के दावे के उलट है। स्टिंग की जो अवधि बताई गई है उस दौरान सेबी के दस्तावेज के मुताबिक फर्स्ट ग्लोबल शेयर बेचने वाली टॉप 50 फर्मों में शामिल नहीं थी।
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक में 3 मार्च 2001 को 177 अंकों की गिरावट आई थी और 35,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। दूसरी ओर सेबी के जांच अधिकारियों ने पाया कि शंकर शर्मा, निर्मल बंग के जरिये कारोबार कर रहे थे।
फर्स्ट ग्लोबल के खिलाफ आरोप काफी गंभीर थे। इसके चलते सेबी ने 12 सितंबर 2002 को एक ब्रोकर और पोर्टफोलियो मैनेजर के तौर पर फर्स्ट ग्लोबल शेयरब्रोकिंग का लाइसैंस निरस्त कर दिया।
बाजार में गिरावट के दस दिन बाद फर्स्ट ग्लोबल के खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक विवाद का विषय बन गई जब तहलका डॉट कॉम ने रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार का खुलासा कर तत्कालीन वाजपेयी सरकार की बुनियाद बुरी तरह से हिला दी थी।
फर्स्ट ग्लोबल के निदेशक और चीफ ग्लोबल ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस्ट शंकर शर्मा तीन बार गिरफ्तार भी हुए। फर्स्ट ग्लोबल 3 दिसंबर 2004 को यह मामला लेकर प्रतिभूति अपीलीय पंचाट में गई, जहां सेबी का फैसला उलट दिया गया।
शर्मा ने कहा, ‘हम पहले दिन से कह रहे हैं कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है और तहलका कांड के बाद से हमें किसी भी तरह से इसमें फंसाने की साजिश की गई।’ इस मसले पर सेबी के तत्कालीन अध्यक्ष जी एन बाजपेयी ने किसी तरह की टिप्पणी नहीं की।
आठ साल बाद मिले दस्तावेज
दस्तावेज में फर्म के खिलाफ सबूत नहीं
जांच अधिकारियों का दावा अलग
फर्म का दावा, मामला राजनीति से प्रेरित