बीएसई और एमसीएक्स के शेयर इस खबर पर गुरुवार को चढ़ गए कि प्रतिस्पर्धी नैशनल स्टॉक एक्सचेंज अपना आईपीओ पेश करने के और करीब पहुंच गया है। बीएसई का शेयर (जिसकी एनएसई पर एक्सक्लूसिव ट्रेडिंग होती है) 16 फीसदी चढ़कर 1,912 रुपये पर बंद हुआ जबकि एमसीएक्स का शेयर 5 फीसदी चढ़कर 1,659 रुपये पर बंद हुआ।
बाजार के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि एनएसई का मूल्यांकन करीब 2 लाख करोड़ रुपये होगा। उनका मानना है कि एक्सचेंज के आईपीओ से बीएसई व एमसीएक्स की दोबारा रेटिंग हो सकती है, जिसका मूल्यांकन अभी क्रमश: 8,550 करोड़ रुपये व 8,378 करोड़ रुपये है।
यह बढ़ोतरी सैट की उस खबर के बाद देखने को मिली जिसमें सैट ने कहा है कि कोलोकेशन मामले में उसने कुछ निश्चित आदेश सुरक्षित रख लिए हैं। ये आदेश एनएसई, ओपीजी सिक्योरिटीज और एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण व रवि नारायण की अपील से जुड़े हैं।
अप्रैल 2019 में सेबी ने एनएसई को छह महीने तक पूंजी बाजार में प्रवेश से रोक दिया था, जिस पर आरोप था कि उसकी कोलोकेशन सुविधा में कथित खामियां हैं। यह पाबंदी 30 अक्टूबर 2019 को समाप्त हुई। बाजार नियामक सेबी ने एक्सचेंज को निर्देश दिया कि वह 625 करोड़ रुपये की कमाआई वापस करे और इस पर अप्रैल 2014 से 12 फीसदी ब्याज भी दे। सेबी के आदेश के खिलाफ सैट में कई अपील की गई है।
मामला लंबित होना एक्सचेंज के आईपीओ के लिए अहम अवरोध है। इस साल एनएसई ने सेबी से औपचारिक तौर पर पूछा था कि क्या वह एक बार फिर आईपीओ के लिए विवरणिका का मसौदा (डीआरएचपी) जमा करा सकता है।
एक्सचेंज ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है, एनएसई ने अपने आईपीओ और डीआरएचपी दाखिल करने को लेकर सेबी को अनापत्ति पत्र देने का अनुरोध किया है। सेबी से जवाब का इंतजार है।
साल 2016 में एनएसई ने 10,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए डीआरएचपी दाखिल किया था। हालांकि कोलोकेशन मामले पर जांच से उसकी सूचीबद्धता की योजना पटरी से उतर गई। कुल 27 शेयरधारकों ने 11.14 करोड़ शेयर (22.5 फीसदी हिस्सेदारी) इस आईपीओ में बेचने की योजना बनाई थी। हिस्सा बेचने वाले बड़े निवेशकों में प्राइवेट इक्विटी फंड टाइगर ग्लोबल, अरांडा इन्वेस्टमेंट्स और सैफ पार्टनर्स शामिल है। कुछ देसी बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने भी इस आईपीओ में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी।
