भले ही प्रमुख सूचकांक अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों को पुन: छूने की दिशा में धीमी गति से आगे बढ़े हैं, लेकिन एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक कृष्ण कुमार कारवा ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2023 में बाजारों ने सतर्क रुख अपनाया और मूल्यांकन पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) निकासी की वजह से दबाव पड़ा और इस वजह से एफपीआई प्रवाह के संदर्भ में मूल्यांकन आकर्षक हो गया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
बाजारों ने अब तक कैसा प्रदर्शन किया है? क्या आप वित्त वर्ष 2023 के शेष समय में उतार-चढ़ाव बरकरार रहने की उम्मीद कर रहे हैं?
पिछले कुछ महीनों में, हमने देखा कि एफपीआई ने करीब 8.1 अरब डॉलर का निवेश किया, क्योंकि मूल्यांकन आकर्षक हो गया और रुपये में बड़ी गिरावट की आशंका घट गई थी। बाजारों ने वित्त वर्ष 2023 में सतर्क रुख अपनाया है और एफपीआई बिकवाली की वजह से महंगे मूल्यांकन में नरमी आई, जिससे एफपीआई प्रवाह के लिहाज से मूल्यांकन आकर्षक हो गया। घरेलू निवेशकों ने भारतीय इक्विटी में अपना भरोसा बनाए रखा है और प्रत्यक्ष रूप से या संस्थानों के जरिये नियमित तौर पर निवेश किया है। घरेलू बाजारों पर मूल्यांकन और निवेश प्रवाह का असर बना रहेगा। यूरोपीय क्षेत्र में ऊंची ऊर्जा कीमतों, महामारी की वजह से पैदा हुई समस्याओं, और चीन में घरेलू रियल एस्टेट क्षेत्र में बुलबुले जैसे हालात से वैश्विक वृद्धि की राह प्रभावित होगी। भारत अपनी वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के साथ आने वाले कई वर्षों के लिहाज से व्यापक और विश्व-अग्रणी जीडीपी वृद्धि के कगार पर है।
क्या आप भारत को ‘तेजी पर बेचें’ या ‘गिरावट पर खरीदारी’ वाले बाजार के तौर पर देखेंगे?
अल्पावधि बाजारों के आधार पर शेयरों की खरीद-बिक्री करने वाले निवेशक अच्छे व्यवसायों से गलत समय पर और गलत मूल्यांकन पर बाहर निकलने से परहेज करेंगे। घरेलू अर्थव्यवस्था आने वाले कई वर्षों के दौरान चीन, अमेरिका और समान प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर वृद्धि के लिए तैयार है। ऐसे परिवेश में, हरेक बिकवाली दीर्घावधि निवेशकों के लिए उचित कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों/व्यवसायों में खरीदारी का अवसर है।
अगले कुछ महीनों में आप निवेशकों को किन मौकों पर विचार का सुझाव देना चाहेंगे?
निवेशकों को उचित मूल्यांकन पर ऐसे शेयरों में खरीदारी करनी चाहिए, जिनमें दीर्घावधि विकास की संभावनाएं हों। जरूरतें पूरी करने योग्य बाजार के आकार के आधार पर ऐसी कंपनियां स्मॉलकैप, मिडकैप या लार्जकैप क्षेत्र से शामिल की जा सकती हैं। ध्यान देने की बात यह है कि ज्यादा प्रतिफल तब मिलता है जब कुछ समय के बाद स्मॉलकैप कंपनियां आज की मिडकैप और कल की लार्जकैप बनने की दिशा में तेजी से बढ़ती हैं।
क्या शेयर बाजार में मौजूदा अनिश्चितता से इक्विटी में छोटे निवेशकों का भरोसा डगमगाया है?
भारत में इक्विटी बाजार में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा सुधार आया है, भले ही इसकी पैठ अबाध है, लेकिन इसे अभी भी लंबा सफर तय करना है, जैसा कि पारिवारिक बचत में इक्विटी निवेश की कम भागदारी से पता चलता है। हाल के वर्षों में घरेलू निवेशकों ने बाजार की अनिश्चितता के साथ आगे बढ़ना सीखा है, जो अक्सर वैश्विक कारकों की वजह से पैदा होती है और घरेलू वास्तविकताओं से अलग होती है। दीर्घावधि के दौरान, इक्विटी प्रतिफल निर्धारित आय योजनाओं के मुकाबले बेहतर रहा है और निवेशकों ने कुछ बचत इक्विटी में लगानी शुरू की है। भारतीय इक्विटी में छोटे निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है।
ब्रोकिंग और परिसंपत्ति प्रबंधन व्यवसाय कैसे एक साथ आगे बढ़ रहे हैं?
डिस्काउंट ब्रोकिंग, संपूर्ण सेवा प्रदान करने वाले ब्रोकर और संस्थागत ब्रोकिंग का उद्योग की व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। ये सभी कमाई करते हैं और दूसरों को भी आगे बढ़ने का मौका देते हैं। रिटेल भागीदारी डेरिवेटिव्स में ज्यादा केंद्रित है, क्योंकि लाभ और नुकसान भी अधिक होते हैं। इसलिए जब बाजार चढ़ता है तो इन उद्योगों का कारोबार बढ़ता है और बाजार में सुस्ती आने पर इनका कारोबार प्रभावित होता है। ब्रोकिंग व्यवसाय उन कंपनियों के लिए लगातार तेजी से बढ़ेगा, जो अपनी पेशकशों में नवीनता लाती रहेंगी। परिसंपत्ति प्रबंधन आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ेगा।
निवेश परामर्श व्यवसाय में संभावनाएं कैसी हैं?
निवेश परामर्श व्यवसाय कई गुना बढ़ने को तैयार है। छोटे निवेशक भी प्रत्यक्ष रूप से निवेश की संभावना तलाशने को इच्छुक हैं, जिसके लिए विशेष निवेश सलाहकारों की जरूरत होती है। मझोले और बड़े पारिवारिक व्यवसाय विशेषज्ञ निवेश सलाहकारों की जरूरत को समझते हैं और वे नियमित रूप से उनसे जुड़े रहते हैं।