खाद्य वस्तुओं की निर्माता कंपनी नेस्ले ने प्रीमियम पोजीशनिंग की जो रणनीति बनाई है, उससे इसे लगातार फायदा मिलता दिखाई दे रहा है।
हालांकि इस बात के भी संकेत मिले हैं कि ग्राहक कुछ श्रेणियों में खर्च करने में सावधानी बरत रहे हैं या इसमें कटौती कर रहे हैं।
कंपनी के प्रदर्शन पर नजर डाली जाए तो मार्च 2009 की तिमाही में बिक्री 19 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 1,266 करोड रुपये रही लेकिन विश्लेषक इस प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पिछली आठ तिमाही में बिक्री की दर 24 फीसदी रही है जिसकी तुलना में यह कम है।
इसके बावजूद कंपनी के लिए खुश होने वाली बात यह है कि ज्यादातर उत्पाद के कारोबार की मात्रा अधिक रही है। तैयार खाद्य पदार्थों के लिए कारोबार की मात्रा जहां 30 फीसदी रही है वहीं दुग्ध उत्पाद श्रेणी में यह आंकडा 10 फीसदी रहा है।
यह इस बात का संकेत देता है कि मंदी के इस दौर में भी कंपनी का ब्रांड मजबूती से आगे बढ़ रहा है। कुछ श्रेणियों में रियलाइजेशन भी बढिया रहा है, साथ ही कच्चे माल की कीमतों में कमी आने से कंपनी के परिचालन मुनाफा मार्जिन में 165 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 24.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।
मजबूत मार्जिन की वजह से शुध्द मुनाफे में भी 22 फीसदी का उछाल आया और यह 208 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। हालांकि इस बात के मद्देनजर कि मंदी से उबरने में अर्थव्यवस्था को अभी कुछ समय और लग सकता है, साथ ही ग्राहक प्रीमियम उत्पादों की खरीदारी में संकोच कर सकते हैं, विश्लेषक कंपनी के लिए वर्ष 2009 में टॉपलाइन ग्रोथ 20 फीसदी रहने का अनुमान लगा रहे हैं।
वर्ष 2008 में कंपनी ने 5,154 करोड रुपये की टॉपलाइन ग्रोथ हासिल की थी। कुछ बुनियादी चीजों जैसे पैकेजिंग की कीमतों में कमी हो सकती है लेकिन चीनी, गेहूं और दूध की कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रह सकती हैं।
इस लिहाज से इस साल कंपनी का परिचालन मुनाफा मार्जिन पिछले साल की भांति ही 20 फीसदी से थोडा कम या थोड़ा ज्यादा हो सकता है। कंपनी के शेयरों का प्रदर्शन काफी बढिया रहा है लेकिन इस समय 1,769 रुपये के स्तर पर इसका कारोबार 2009 की आय के 27 गुना के स्तर पर हो रहा है।
आरकॉम: कमजोर संकेत
रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा जीएसम सेवा शुरू करने के तमाम बड़बोलेपन के बावजूद इसका प्रदर्शन मार्च 2009 की तिमाही में हताश करने वाला रहा है। कंपनी के वायरलेस कारोबार में क्रमागत आधार पर मात्र 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि इन्क्रीमेंटल राजस्व 90 करोड रुपये के आसपास रहा।
प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) में 11 फीसदी की कमी आई जो भारती और आइडिया के एआरपीयू में आई गिरावट के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसके अलावा कंपनी के लिए इन्क्रीमेंटल एआरपीयू के प्रति उपभोक्ता प्रति माह 26 रुपये रहने का अनुमान है।
कंपनी के लिए मुसीबतें यही कम नहीं हुई क्योंकि इस्तेमाल में आने वाले मिनट (एमओयू) में भी 9 फीसदी की तेज गिरावट देखी गई। इससे यह साबित होता है कि उपभोक्ताओं की संख्या में हुई 18 फीसदी की बढ़ोतरी राजस्व में तब्दील नहीं हो पाई और राजस्व क्रमागत आधार पर मात्र 2 फीसदी ज्यादा रहा।
कंपनी द्वारा परिचालन पर अधिक खर्च करने के कारण परिचालन मुनाफा मार्जिन 285 आधार अंक गिरकर 35.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी के शुध्द मुनाफे में 3 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। इस बाबत एक ब्रोकर का कहना था ‘ शुध्द मुनाफे में बढ़ोतरी का कारण इंटरेस्ट इनकम खर्च पर आक्रामक अकाउंटिंग नीति, नगण्य कर प्रावधान और पूर्व की तिमाहियों में ईएसओपी का राइट बैक रहा।’
सीएलएसए इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अकाउंटिंग सूची 6 के अनुसार आरकॉम ने फिक्स्ड ऐसेट के खर्च में आने वाली विदेशी मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव के 4,500 करोड रुपये का पूंजीकरण किया है और इसके अलावा एफसीसीबी पर 1,470 करोड़ रुपये के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है।
आरकॉम चालू वित्त वर्ष में 10,000 करोड रुपये के पूंजी निवेश की योजना बना रही है। विश्लेषकों का मानना है कि अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों भारती एयरटेल की तुलना में कम पूंजी निवेश की वजह कंपनी का कमजोर पूंजी आधार रहा है।
यह बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए आश्यर्च से कम नहीं है। इस बाबत एक ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009-10 के लिए आरकॉम के कुल कर्ज और अनुमानित एबिटा तीन गुना रह सकता है।
