अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत को निवेशक हाथोहाथ ले सकते हैं। इसकी वजह यह है कि बाइडन की जीत के बाद पिछले कई महीनों से चली आ रही अनिश्चितता समाप्त हो गई है और अब स्पष्ट हो चुका है कि दुनिया के सबसे प्रभावशाली देश की कमान कौन संभालने जा रहा है। विश्लेषकों को लगता है कि डेमाक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के जीतने के बाद अमेरिकी डॉलर कमजोर हो सकता है और तेल की कीमतें मध्यम स्तर पर रहेंगी। बकौल विश्लेषक बाइडन प्रशासन के दौर में ब्याज दरें भी निचले स्तर पर रह सकती हैं, जिससे घरेलू शेयर बाजार को ताकत मिलेगी।
कई लोगों को यह भी लगता है कि ओबामा प्रशासन में अंतरराष्ट्रीय मामलों से निपटने का अनुभव होने के कारण बाइडन चीन से रिश्ते सुधार सकते हैं, जिसका सीधा सकारात्मक असर वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा। शुक्रवार को बेंचमार्क सेंसेक्स 41,893 पर बंद हुआ, जो इसके सर्वकालिक स्तर से मात्र 52 अंक नीचे रहा। निफ्टी 50 सूचंकाक भी 12, 263 अंक के साथ 10 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह भी जनवरी के पिछले रिकॉर्ड स्तर से महज 90 अंक कम रहा। पिछले सप्ताह दोनों सूचकांकों में 5 प्रतिशत से अधिक तेजी दर्ज की गई। कुछ लोगों का कहना है कि पिछले सप्ताह अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी ज्यादातर सकारात्मक सुधारों का असर सूचकांकों पर दिख चुका है और आगे शेयर अपनी मौजूदा बढ़त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘पिछले सप्ताह बाजार में दर्ज तेजी आगे भी जारी रह सकती है। वैश्विक बाजारों को भी इससे राहत मिलेगी कि बाइडन के नेतृत्व में एक नए दौर की शुरुआत होगी। चीन के साथ बाइडन को कोई खास परेशानी नहीं होगी। आने वाले समय में भारत में पर्यावरण, सामाजिक एवं निगमित संचालन की अहमियत बढ़ जाएगी।’
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हार स्वीकार करने से इनकार किया तो बाजार में थोड़ी उथल-पुथल हो सकती है। इसके अलावा अमेरिकी संसद में सदस्यों के आपसी वैचारिक मतभेद से सुधार के उपाय बढ़ाने में मुश्किलें पेश आ सकती हैं। डाल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, ‘बाइडन ने एक प्रभावशाली जीत दर्ज की है। हालांकि ऐसी खबरें भी आ रही है कि टं्रप उनकी जीत को चुनौती दे सकते हैं। सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत बरकरार है।
