मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ अंतिम दौर में प्रवेश कर गई, लिहाजा वैश्विक वित्तीय बाजार धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। विश्लेषकों ने कहा कि चुनाव के नतीजे की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है, लेकिन डेमोक्रैट उम्मीदवार जो. बाइडन की जीत भारत समेत उभरते बाजारों के लिए अच्छी होगी।
कौन अंतत: जीतेगा, इसका पता नहीं है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि बाजार के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि क्या इस चुनाव में स्पष्ट तस्वीर देखने को मिलेगी जहां दोनों सदनों में जीत दर्ज करने वाली पार्टी का कब्जा होगा। ऐसे परिदृश्य में और निर्णायक नीतियों की शुरुआत हो सकती है, जो मौजूदा स्थितियों के उलट होगा जहां हर सदन एक दूसरे के प्रस्तावों पर रोक लगाता है और आर्थिक प्रगति को अवरोधित करता है। साथ ही इससे अच्छे राहत पैकेज का रास्ता खुलेगा, जो मजबूत बाजार के लिए उत्प्रेरक बन सकता है।
वेलेटिंस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, बाइडन ने संकेत दिया है कि अगर वह जीतते हैं तो कॉरपोरेट टैक्स व पूंजीगत लाभ कर में इजाफा किया जाएगा। इससे अमेरिकी चुनाव के नतीजे से पहले निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी। ऐसे में उभरते बाजारों समेत अन्य इलाकों में निवेश देखने को मिलेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व मौद्रिक नीति सहज रख सकता है और राहत पैकेज की उम्मीद की जा सकती है, जो एक बार फिर उभरते बाजारों को फायदा पहुंचाएगा। दूसरी ओर, अगर डॉनल्ड ट्रंप को जीत मिलती है तो डॉलर मजबूत होगा और चीन पर उनके पहले के रुख को देखते हुए विश्व व्यापार के लिए यह नकारात्मक हो सकता है।
बाइडन का इरादा वैश्विक गठजोड़ दोबारा कायम करने का है और बौद्धिक संपदा व खुले बाजार पर चीन से रियायत हासिल करने का है। लेकिन यह काम वह अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के जरिए व कूटनीतिक नियमों का पालन करते हुए करेंगे। यूबीएस के विश्लेषकों का अनुमान है कि बाइडन के कर बढ़ाने से एसऐंडपी 500 में 8 फीसदी आय का नुकसान हो सकता है। अल्पावधि में उनका मानना है कि इससे एशियाई इक्विटीज में आकर्षण बढ़ेगा और अमेरिका के मुकाबले अपेक्षाकृत महंगे एशियाई पीई को 2005 के बाद के निचले स्तर पर ले जाएगा।
सोसियाते जेनराली के अर्थशास्त्री ने कहा, बाइडन के राष्ट्रपति बनने पर ओईसीडी के साथ ज्यादा सहयोग होगा, जो डिजिटल टैक्स आसानी से लागू करने के लिए होगा। इससे वैश्विक तकनीकी क्षेत्र प्रभावित होगा और अमेरिकी इक्विटीज पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। इसका संभावित तौर पर मतलब डॉलर परिसंपत्तियों के और विशाखन से है।
पिछले कुछ दिनों से प्रमुख राज्यों में ट्रंप पर बाइडन की बढ़त मिली हुई है। कुल मिलाकर बाइडन की रेटिंग अभी 51.5 फीसदी है जबकि ट्रंप की रेटिंग 43.4 फीसदी है। सोसियाते जेनराली के अर्थशास्त्री ने कहा, अगर ट्रंप दोबारा चुने जाते हैं तो विश्लेषक सोने व कमोडिटीज पर ओवरवेट बने रहने को प्राथमिकता देंगे क्योंंकि इनमें ज्यादा बढ़त हुई है और भूराजनैतिक अनिश्चितता से यह काफी आगे है। ट्रंप की दूसरी पारी में मौजूदा नीतियां जारी रहेंगी और अमेरिका फस्र्ट पॉलिसी बनी रह सकती है। अमेरिका व चीन के बीच तनाव जारी रह सकता है लेकिन टैरिफ पर कम ध्यान रहेगा और हॉन्गकॉन्ग पर ज्यादा धान दिया जाएगा। साथ ही इक्विटी प्रवाह व तकनीक पर ध्यान दिया जाएगा। इस संदर्भ में हम अमेरिकी वैल्यू स्टॉक व जापानी इक्विटीज को अमेरिकी ग्रोथ स्टॉक व चीनी इक्विटीज के मुकाबले प्राथमिकता देंगे।
तीसरी संभावना यह है कि अगर चुनाव नतीजे देर से आते हैं तो वैश्विक वित्तीय बाजार में उतारचढ़ाव रहेगा। विश्लेषकों ने कहा, बाजार में किसी तरह की गिरावट जोखिम वाली परिसंपत्तियों में प्रवेश का आकर्षक स्तर होगा, जो मथ्यम से लंबी अवधि में बेहतर रहेगा।
