आर्थिक रिकवरी की रफ्तार तेज होने और मकानों की आकर्षक कीमतों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों के लिए रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाने के लिए यह बढिय़ा अवसर है। जिनके पास अतिरिक्त पूंजी और निवेश की संभावना तलाश रहे हैं, उनके लिए आवासीय संपत्ति की खरीदारी अब दीर्घावधि नजरिये से अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि इन दो परिसंपत्ति वर्गों से निवेशकों की प्रतिफल संबंधित उम्मीदें पूरी हो सकती हैं, क्योंकि इन शेयरों में मार्च 2020 के निचले स्तर से अच्छी तेजी आई है।
पिछले दो वर्षों के दौरान आवासीय रियल एस्टेट मुख्य रूप से खास उपयोगकर्ताओं पर केंद्रित रहा है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के अनुसार, कुल खरीदारी गतिविधि में निवेशकों में महज 20 प्रतिशत का योगदान दिया। हाल के वर्षों में, 2016 में रेरा के लागू होने के अलावा नोटबंदी समेत अन्य झटकों से इस क्षेत्र में समेकन को बढ़ावा मिला था।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के निदेशक एवं शोध प्रमुख प्रशांत ठाकुर का कहना है, ‘निवेशकों द्वारा फिर से सक्रियता बढ़ाए जाने की संभावना है। हालांकि रियल एस्टेट से जल्द और मोटा मुनाफा कमाने के दिन बीत गए हैं। निवेशकों को निवेश पर ज्यादा वास्तविक प्रतिफल (आरओआई) की उम्मीदों के साथ बाजार में आना चाहिए। अल्पावधि अटकल से संबंधित रियल एस्टेट निवेश न तो उचित होते हैं और न ही ज्यादा लाभकारी। आवासीय कीमतें पिछले 7-8 वर्षों में सीमित दायरे में बनी हुई हैं जिससे मांग में सुधार से कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है। भारतीय आवासीय क्षेत्र के लिए उपयुक्त निवेश अवधि 5-10 वर्ष है।’
एनारॉक के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले वर्षों के दौरानसंपत्ति की कीमतें धीरे धीरे बढ़ी हैं। भारत में आठ प्रमुख मेट्रो शहरों – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), कोलकाता, मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर), पुणे, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलूरु में संपत्ति की औसत कीमतें वर्ष 2013 और 2020 के बीच 2 प्रतिशत से 38 प्रतिशत के बीच चढ़ीं।
नाइट फ्रैंक के अनुसार, दूसरी तरफ, सभी आठ प्रमुख भारतीय महानगरों में आवासीय मकानों की बिक्री दिसंबर 2020 की तिमाही में 61,593 यूनिट के साथ कोविड-पूर्व स्तरों पर पहुंच गई। औसत तौर पर इन शहरों ने 2019 में 61,467 मकानों की कुल बिक्री दर्ज की।
वहीं सरकार ने भी फिर से अपनी सक्रियता बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, मुंबई में 1 सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक स्टांप शुल्क 5 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत और उसके बाद 31 मार्च 2021 तक घटाकर 3 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया। पिछले सप्ताह, दिल्ली सरकार ने अगले 6 महीनों के लिए सभी संपत्ति श्रेणियों के लिए सर्किल दरें 20 प्रतिशत तक घटाने का निर्णय लिया। नाइट फ्रैंक इंडिया में कार्यकारी निदेशक (नॉर्थ) मुदस्सिर जैदी ने कहा, ‘कई इलाकों में बाजार दरें सर्किल दरों से नीचे दर्ज की गई थीं जिससे संपत्ति लेनदेन प्रभावित हुए। कम बाजार दर और ऊंची सर्किल दर के बीच अंतर को खरीदार की आय में शामिल किए जाने और इस पर कर लगने जैसी जटिलताओं का भी प्रभाव देखने को मिला। कम लेनदेन लागत से निश्चित तौर पर खरीदारों को अवसर तलाशने में मदद मिलेगी।’
शेयर बाजारों पर, कई रियल्टी शेयरों ने अपने मार्च 2020 के निचले स्तरों से शानदार प्रदर्शन किया है। निफ्टी रियल्टी सूचकांक में निफ्टी-50 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। शोभा, डीएलएफ, गोदरेज प्रॉपर्टीज, ब्रिगेड एंटरप्राइजेज और इंडियाबुल्स रियल एस्टेट जैसे शेयरों में इस अवधि के दौरान 100 प्रतिशत से 223 प्रतिशत के बीच तेजी दर्ज की गई।
एमऐंडएम का शेयर दो साल की ऊंचाई पर
सख्त पूंजी आवंटन पहल की घोषणा के करीब सात महीने बाद महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) अब अपनी रणनीति के पहले चरण के समापन के नजदीक है। कंपनी ने दिसंबर तिमाही में शानदार परिणाम दर्ज किया है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफेक्चरर्स (सायम) यूवी सेगमेंट में एमऐंडएम की बाजार भागीदारी चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में घटकर 15.21 प्रतिशत रह गई है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 20.14 प्रतिशत थी। कंपनी ने कई नए वाहनों को पेश करने की योजना बनाई है।
निवेशकों ने कंपनी में भरोसा बनाए रखा है। कई ब्रोकरों ने आय अनुमान में संशोधन किया था जिससे शेयर में पिछले एक साल में 63.2 प्रतिशत तक की तेजी आई है। सोमवार को यह शेयर 7.2 प्रतिशत तक की तेजी के साथ 928.2 रुपये पर बंद हुए, जो सितंबर 2018 के बाद इसका सबसे ऊंचा स्तर है।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने इस शेयर के लिए ‘खरीदारी’ रेटिंग दी है। बीएस