जब वर्ष 2004 में क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो (सिबिल) की शुरुआत की गई थी तो उस समय इसमें कारोबार के 40 लाख डेटाबेस थे और करीब 13 सदस्य थे।
इस समय कंपनी के सदस्यों की संख्या 162 तक पहुंच गई है और इसकेपास करीब 12 करोड़ 70 व्यक्तियों और कंपनियों के डेटाबेस उपलब्ध हैं।
सिबिल के प्रबंध निदेशक अरुण ठकराल ने नीलाद्रि भट्टाचार्य और सिध्दार्थ से विभिन्न मुद्दों पर बात की । पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:
अभी हाल में आरबीआई द्वारा जो बदलाव के प्रस्ताव किए गए हैं। क्या इससे सिबिल में हिस्सेदारी के पैटर्न में भी बदलाव आएगा?
हां, इस आरबीआई द्वारा कुछ नए प्रस्ताव केबाद पैटर्न में बदलाव की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी क्रेडिट इनफॉर्मेसन कंपनी में 49 फीसदी तक केविदेशी निवेश की मंजूरी दी है।
हमारे दोनों तकनीकी साझेदार ट्रांसयूनियन और दुन एंड ब्रेडस्ट्रीट दोनों निश्चित रूप से इसमें अपनी रूचि दिखाएंगे, क्योंकि इन्होंने पिछले कई मौकों पर इस तरह की चीजों को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।
दोनों में से कोई भी 49 फीसदी निवेश प्राप्त कर सकता है या फिर इसे आपस में बांट सकते हैं। इस बारे में और ज्यादा जानकारी देने केलिए हमारे ये तकनीकी ाझेदार सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं।
हालांकि हमारा मानना है कि किसी कनीक रूप से कुशल और क्षमतावान विदेशी कंपनी केमालिकाना अधिकार से हमें कोई एतराज नहीं है और हमारा मानना है कि इससे हमें फायदा ही होगा।
क्या आप फ्रॉड और मॉर्गेज रिपोजिटरी और अपने अन्य उत्पादों के बारे में जानकारी देंगे?
हमारे पास पहले से ही प्रथम श्रेणी के जेनरिक स्कोर, सिबिल ट्रांसयूनियन हैं जो 300 से 900 के बीच स्कोर मुहैया कराते हैं। आगे चलकर व्यवसायिक और पभोक्ता ब्योरो को एकीकृत करने की मारी योजना है जिससे कि आप को इस बारे में पूरी जानकारी मिल केऔर इसका स्वरूप स्पष्ट हो सके।
उदाहरण केलिए कोई किसी कंपनी के निदेशक और हिस्सेदार के वित्तीय व्यवहार केबारे में जानने को उत्सुक हो सकते हैं। इसके अलावा भी बहुत सारी योजनाएं हैं और हम व्यक्तिगत ऋण स्कोर की योजना पर भी विचार कर रहे हैं जो सिर्फ व्यक्तिगत ऋण पर ही आंकड़े उपलब्ध कराएंगे।
फ्रॉड रिपोजिटरी की मदद से बैंको को सूचनाओं प्राप्त करने में मदद करेगी जो आरबीआई के अलावा किसी को पता नहीं होती है। किसी भी मसले पर कोई फैसला लेने से पहले वो निश्चित तौर पर आंकडों पर नजर डालेंगे।
इससे बैंकों द्वारा कर्ज देने के बाद इसकेडूबने की संभावना कम होगी जिससे बैंकों को बहुत फायदा होगा।
समस्या का निपटारा किस तरह से किया जा रहा है और क्या आप किसी अन्य सेवा प्रदाता से आंकडो के आदान-प्रदान की बात कर रहे हैं जिसे बैंकों को इसे पाने में आसानी हो सके?
बिल्कुल।
कानून दूरसंचार कपनियां हमारे विश्ष्टि उपभोक्ता हो सकते हैं क्योंकि ये हमसे आंकड़े प्राप्त र सकते हैं।
यह बात अभी तक हमें स्पष्ट नहीं है कि इन कंपनियों को हमारे साथ आंकड़ों के आदान-प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।
अगर ये कंपनियां आंकड़े उपलब्ध कराते हैं तो निश्चित तौर पर हमारे कई ग्राहकों के लिए जोखिम के प्रबंधन करने में काफी मदद मिलेगी।
आंकडो में समय रहते सुधार को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
अब एक महीने पर आंकड़ों को अपडेट करना अनिवार्य कर दिया गया है और बैंक ने ऐसा करना शुरू कर दिया है।