बाजार नियामक सेबी चाहता है कि आईपीओ से संबंधित विज्ञापनों में जोखिम कारकों को मुख्य तौर पर प्रदर्शित किया जाए। साथ ही सेबी ने सूचीबद्घता से तीन साल पहले सभी लेनदेन की लागत को जोखिम कारकों में शामिल किए जाने को भी कहा है।
निवेश बैंकिंग उद्योग संस्था एआईबीआई को भेजी सूचना में सेबी ने कहा है, ‘निवेशकों के लिए संभावित जोखिम में पिछले तीन साल और एक साल में सभी शेयरों में लेनदेन के खर्च की औसत लागत (डीआरएचपी की तारीख से) शामिल होनी चाहिए।’
सेबी ने कहा है, ‘निवेशकों के लिए जोखिम से संबंधित भाग को प्राइस बैंड विज्ञापन स्पेस के कम से कम 33 प्रतिशत जगह दी जानी चाहिए।’
विश्लेषकों का कहना है कि आईपीओ विज्ञापनों के ‘रिस्क टु इन्वेस्टर्स’ यानी निवेशकों के लिए जोखिम भाग का इस विज्ञापन स्पेस में 10-15 प्रतिशत स्पेस होता है।
उसका कहना है कि सेबी के नए बदलाव से निवेशकों को जोखिम को बेहतर ढंग से समझने और पढऩे में मदद मिलेगी।
मौजूदा शेयरधारकों ने इस साल आईपीओ में अपनी हिस्सेदारी बेचकर कई गुना लाभ कमाया है। कई ने से छोटे निवेशकों से अत्याधुनिक निवेश्कों को पूंजी का स्थानांतरण करार दिया है।
सेबी ने ऐसा फॉर्मेट निर्धारित किया है, जिसमें खरीद लागत आईपीओ के लिए निवेशक द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत से तुलना किए जाने योग्य होगी।