खाद्य पदार्थों की महंगाई को काबू में लाने के मकसद से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक्सचेंजों को धान (गैर-बासमती), गेहूं, चना, सरसों के नए वायदा अनुबंध लाने पर रोक लगा दी है साथ ही सोयाबीन, क्रूड पाम तेल तथा मूंग के डेरिवेटिव पर तत्काल प्रभाव से एक साल के लिए रोक लगा दी है। 2003 में जिंस डेरिवेटिव वायदा शुरू होने के बाद से बाजार नियामक की यह अब तक सबसे सख्त कदम है। सेबी ने कहा कि इन सात जिंसों में एक साल के लिए नए अनुबंध की अनुमति नहीं होगी। पहले से चल रहे अनुबंधों के संबंध में कोई भी नया सौदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और केवल सौदे का निपटान करने की अनुमति होगी।
डीजल और पेट्रोल पर शुल्क में कटौती के बावजूद नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति तीन माह के उच्चतम स्तर 4.91 फीसदी पर पहुंच गई है, जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति का अहम योगदान है।
व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि धान (गैर-बासमती), गेहूं और मूंग में एक्सचेंज पर बहुत कम मात्रा में सौदा होगा है, वहीं सरसों और चना का नया अबुंधन अगस्त से ही निलंबित है। सेबी के ताजा कदम से सबसे ज्यादा असर सोयाबीन और क्रूड पाम तेल पर पड़ेगा।
रिफाइंड सोयाबीन, रेपसीड और काबुली चना का एनसीडीईएक्स पर दैनिक औसत कारोबार 2021 में 12.7 अरब रुपये का है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का औसत दैनिक कारोबार करीब 200 करोड़ रुपये का है।
सेबी के निर्देश के बाद सोयाबीन का जनवरी वायदा अनुबंध 4 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ और फरवरी वायदा 2.36 फीसदी नीचे बंद हुआ। इसी तरह सोया तेल का जनवरी वायदा 1.76 फीसदी नीचे और फरवरी अनुबंध 0.09 फीसदी ऊपर बंद हुआ।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, ‘यह सरकार की ओर से उठाया गया बेहद सख्त कदम है और ऐसा केवल महंगाई की चिंता में किया गया है। केंद्र सरकार खा तेलों के दाम का काबू में रखने का हरसंभव उपाय कर रही है।’ उन्होंने कहा कि मार्च में सरसों की नई फसल आने के बाद वायदा से पाबंदी हट सकती है।
खाद्य तेल के ब्रोकर और कंसल्टेंसी सनविन ग्रुप के मुख्य कार्याधिकारी संदी बाजोरिया ने कहा, ‘सेबी के सोमवार के फैसले से खाद्य तेलों के आयातकों और व्यापारियों को मुश्किल होगी क्योंकि वे अपने जोखिम को हेज करने के लिए घरेलू एक्सचेंजों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल करते हैं।’
पोल्ट्री उद्योग भी सोया बीज वायदा पर रोक लगाने और सोयाखली के आयात की समयसीमा बढ़ाने की मांग कर रहा था क्योंकि उनके मार्जिन पर असर पड़ा रहा था। पोल्टी में सोयाखली का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है और इसका दाम सीधे तौर पर सोयाबीन की कीमतों से जुड़ा है क्योंकि सोया बरज में 80 फीसदी खली और 18 फीसदी तेल होता है।
कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2021-22 खरीफ वर्ष में सोयाबीन का उत्पादन 1.27 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 1.28 करोड़ टन से थोड़ा कम है। चना, गेहंू और सरसों के उत्पादन का आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं हो पाया है क्योंकि इसकी अभी बुआई चल रही है। 17 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का रकबा करीब 2.77 करोड़ हेक्टेयर रहा जो पिछले साल से 0.87 फीसदी कम है। इसी तरह चना का रकबा करीब 97.9 लाख हेक्टेयर रहा है। सरसों का रकबा पिछले साल से 24 फीसदी बढ़कर करीब 84.2 लाख हेक्टर पहुंच गया है।
