बाजार नियामक सेबी से सैद्धांतिक तौर पर बजाज फिनसर्व को म्युचुअल फंड कारोबार शुरू करने की इजाजत मिल गई है, ऐसे में 35 लाख करोड़ रुपये वाले म्युचुअल फंड उद्योग में वह शामिल हो जाएगी। बीएसई को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा है कि उसे सेबी से सैद्धांतिक तौर पर म्युचुअल फंड कारोबार शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। इस बाबत उसे 23 अगस्त, 2021 को सेबी का पत्र मिला। इसके मुताबिक कंपनी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी)और ट्रस्टी कंपनी स्थापित करेगी और यह काम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर होगा यानी खुद के जरिये या अपनी सहायक कंपनियों के जरिये, जो सेबी के नियम व अन्य नियमों के मुताबिक होगा। बजाज फिनसर्व ने सितंबर 2020 में म्चुचुअल फंड कारोबार स्थापित करने के लिए नियामक के पास आवेदन किया था।
मंगलवार को बजाज फिनसर्व का शेयर बीएसई पर 7.91 फीसदी यानी 1,207.05 रुपये की उछाल के साथ 16,475.25 रुपये पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान यह शेयर 55 हफ्ते के उच्चस्तर को छू गया था। पिछले एक साल में इस शेयर ने 157.7 फीसदी रिटर्न दिया है जबकि सेंसेक्स का रिटर्न 44.2 फीसदी रहा है। बजाज फाइनैंस का शेयर हालांकि मंगलवार को 3.33 फीसदी की बढ़त के साथ 6,978 रुपये पर बंद हुआ। म्युचुअल फंड उद्योग पिछले कुछ महीनों से खासी परिसंपत्ति आकर्षित कर रहा है, ऐसे में और कंपनियों का झुकाव इस कारोबार के प्रबंधन में हुआ है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग ने एनजे इंडिया और सैमको सिक्योरिटीज जैसी नई कंपनियों को म्युचुअल फंड कारोबार स्थापित करते देखा है।
अभी म्युचुअल फंड उद्योग में 44 कंपनियां हैं और सैमको सिक्योरिटीज 45वीं कंपनी बन गई। सेबी के मुताबिक, जूवन में करीब छह इकाइयों को सैद्धांतिक तौर पर एमएफ कारोबार स्थापित करने की मंजूरी दी गई। ये कंपनियां हैं जीरोधा ब्रोकिंग, अल्केमी कैपिटल मैनेजमेंट और हेलियस कैपिटल मैनेजमेंट आदि। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि कामयाब होना नई कंपनियोंं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि ज्यादातर परिसंपत्तियां अभी भी 10 अग्रणी फंड हाउस के पास है। हालांकि इस कारोबार में विस्तार की काफी गुंजाइश है क्योंकि एमएफ का प्रसार काफी कम हुआ है। जुलाई के आखिर में भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 35.31 लाख करोड़ रुपये थी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का एयूएम पिछले20 वर्षों में 19 फीसदी सालाना की रफ्तार से बढ़ा है। अभी भी एयूएम कुल जीडीपी का महज 12 फीसदी है जबकि वैश्विक औसत 55 फीसदी है।
