ऐक्सिस म्युचुअल फंड ने दो फंड प्रबंधकों वीरेश जोशी और दीपक अग्रवाल को अपने फंडों के प्रबंधन में अनियमितताओं के आरोपों की वजह से निलंबित कर दिया है। फंड हाउस ने सात योजनाओं के अन्य फंड प्रबंधकों की जिम्मेदारियों में भी बदलाव किया है।
अपने एक बयान में फंड हाउस ने कहा है कि उसने संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए दो महीने पहले स्वयं जांच शुरू कराई थी।
बयान में कहा गया, ‘ऐक्सिस एमएफ ने पिछले दो महीनों (फरवरी, 2022 से) के दौरान स्वत: जांच की है। एएमसी ने इस जांच में मदद के लिए प्रख्यात बाहरी सलाहकारों का इस्तेमाल किया। इस प्रक्रिया के तहत जांच लंबित रहने तक दो फंड प्रबंधकों को संभावित अनियमितताओं की वजह से निलंबित कर दिया गया है। हमने कानूनी/नियामकीय शर्तों पर गंभीरता से अमल किया, और किसी गैर-अनुपालन के मामले से इनकार किया है।’
अधिकारियों का कहना है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी इस मामले में आरंभिक जांच शुरू की है। नियामक फंड हाउस से अपनी निवेश गतिविधि रिपोर्टें भेजने को कह सकता है और शेयरों की संभावित तेजी को लेकर फंड प्रबंधकों तथा ब्रोकरों के बीच कथित संंबंधों की जांच करने का निर्देश दे सकता है।
वीरेश जोशी वर्ष 2009 से ऐक्सिस एएमसी से जुड़े रहे हैं और वे मुख्य कारोबारी एवं फंड प्रबंधक थे। उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में आर्बिट्राज फंड एवं डेरिवेटिव ट्रेडिंग रणनीतियों का प्रबंधन शामिल है। उन्होंने ऐक्सिस आर्बिट्राज फंड, ऐक्सिस टेक्नोलॉजी ईटीएफ, और ऐक्सिस कंजम्पशन ईटीएफ का प्रबंधन किया।
दीपक अग्रवाल वर्ष 2015 में शोध विश्लेषक (इक्विटी) के तौर पर ऐक्सिस एएमसी से जुड़े थे। उन्हें वर्ष 2020 में सहायक फंड प्रबंधक (इक्विटी) के तौर पर पदोन्नत कर दिया गया। वर्ष 2021 से उन्होंने ऐक्सिस क्वांट फंड और ऐक्सिस कंजम्पशन ईटीएफ का प्रबंधन किया है।
भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि ऐक्सिस एमएफ की औसत प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एएयूएम) 2.59 लाख करोड़ रुपये हैं और यह परिसंपत्तियों के संदर्भ में देश में सातवां सबसे बड़ा फंड हाउस है।
