मौजूदा रुझानों को देखते हुए ऐसा लगता है कि शेयरधारकों ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए शेयर गिरवी रखने की कवायद कम कर दी है। इससे पहले वे कर्ज से निपटने के लिए पहले वे अपने शेयर गिरवी रख रहे थे मगर अब इस चलन में कमी देखी जा रही है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिन कंपनियों का विश्लेषण किया है उनके द्वारा गिरवी रखे गए शेयरों का कुल मूल्य भले ही अधिक हो गया है मगर यह उनके बाजार पूंजीकरण के हिस्से के लिहाज से कम है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जिन कंपनियों ने अपने शेयर गिरवी रखे थे उन्होंने बाजार चढ़ऩे के समय इन्हें भुनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने शेयर गिरवी रख कर भारी मात्रा में रकम उधार लेने से परहेज किया।
यह विश्लेषक 953 कंपनियों के एक नमूने पर आधारित है। शेयरधारकों ने शेयर गिरवी रखे थे जो सितंबर 2017 तक उनके कुल बाजार पूंजीकरण के 5 प्रतिशत हिस्से के बराबर थे। इससे पता चलता है कि तब से इसमें लगातार गिरावट आई है। यह सितंबर 2021 तक कम होकर बाजार पूंजीकरण के 4.1 प्रतिशत हिस्से के बराबर रह गया था।
प्रवर्तक एवं अन्य शेयरधारक अपने शेयर कर्जदाता के पास गिरवी रखकर रकम जुटा सकते हैं। नियमों के अनुसार कंपनियों को गिरवी रखे गए शेयरों की जानकारी सार्वजनिक रूप से देनी होती है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद यह प्रावधान आया है। जिन कंपनियों के अधिक शेयर गिरवी रखे गए हैं अगर प्रवर्तक कर्जदाताओं को ऋण भुगतान करने में असफल रहते हैं तो इससे उन कंपनियों के शेयरों की कीमतों पर प्रतिकूल असर होता है। कर्जदाता बड़े पैमाने पर शेयर बेच देते हैं जिनसे शेयर कीमतें कम हो जाती हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वर्ष 2019 में खुलासा नियम फिर कड़े कर दिए थे। ऐसा कहा गया कि कुछ प्रवर्तक अपने शेयर गिरवी रखने के लिए दूसरी तरकीब आजमा रहे हैं। नियमों में बदलाव पर 2019 में सेबी के दिशानिर्देशों में कहा गया था, ‘हाल में ऐसे कुछ उदाहरण देखने में आए हैं जिनमें सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तक के नियंत्र वाली प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां प्रवर्तकों द्वारा समर्थित डिबेंचर जारी करती हैं। ये डिबेंचर किसी समूह कंपनी के गिरवी शेयरों या देनदारी आदि रूपों में होते हैं। ये काफी पेचीदा होते हैं। अधिग्रहण नियमों का मकसद सभी प्रकार की देनदारी पर नजर रखना है। इस लिहाज से इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है कि ऐसी देनदारी का दायरा और स्पष्ट किए जाने की जरूरत हैं।’
मोटे तौर पर उधार लेने के लिए एक छोटी हिस्सेदारी गिरवी रखी जाती है मगर अलग-अलग क्षेत्रों में शेयर गिरवी रखने की प्रक्रिया तेज हो गई थी। नमूने की 953 कंपनियांं 69 विभिन्न क्षेत्रों से थीं। जितने मूल्य के शेयर गिरवी रखे गए थे उनमें शीर्ष पांच कंपनियों की हिस्सेदारी 54.7 प्रतिशत थी। सितंबर 2019 के बाद खान एवं खनिज उत्पादों में तेजी देखी गई। उस समय गिरवी रखे शेयरों में इनका हिस्सा 0.1 प्रतिशत से कम था। मगर अब इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 21.4 प्रतिशत हो गई है। आधारभूत ढांचा विकास कंपिनयों एवं परिचालकों ने गिरवी रखे शेयरों के कुल मूल्य में अपनी हिस्सेदारी कम कर ली है मगर यह अब भी मूल्यांकन के लिहाज से शीर्ष पांच क्षेत्रों में शमिल है। बिजली उत्पादन एवं वितरण कंपनियों के संबंध में भी यह बात लागू होती है।
