भारतीय म्युचुअल फंड उद्योग में पैसिव योजनाओं का महत्व बढ़ रहा है क्योंंकि निवेशक इस श्रेणी में विशाखन के लिए निवेश करते हैं। पिछले एक साल में कम लागत वाले पैसिव फंडों में भागीदारी बढ़ी है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि पैसिव योजनाओं की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां दिसंबर 2021 में 4.72 लाख करोड़ रुपये थी, जो दिसंबर 2020 में 2.94 लाख करोड़ रुपये था। पैसिव योजनाओं में इंडेक्स फंड, ईटीएफ और विदेश में निवेश करने वाला फंड ऑफ फंड्स शामिल है।
पैसिव योजनाओं की परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी की वजह इन श्रेणियों में तीव्र निवेश और ऐसे फंडों की लगातार हुई पेशकश है। दिसंबर में चार इंडेक्स फंड और छह अन्य ईटीएफ पेश किए गए, जिसके जरिए 6,570 करोड़ रुपये संचयी तौर पर जुटाए गए।
मॉर्निगस्टार के सहायक निदेशक (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, मौजूदा फंडों में भी मजबूत निवेश बना हुआ है। दिसंबर में इंडेक्स फंड व अन्य ईटीएफ श्रेणी में शुद्ध रूप से क्रमश: 4,504.28 करोड़ रुपये व 13,550.76 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। हाल के वर्षों में निवेशकों के बीच पैसिव फंडों की लोकप्रियता बढ़ी है, जिन्होंंने अपने पोर्टफोलियो में ऐसे फंडोंं को विशाखन के मकसद से शामिल किया है।
पिछले एक साल में योजनाओं की संख्या व फोलियो की संख्या भी नॉन-ऐक्टिव योजनाओं के लिए बढ़ी है। दिसंबर 2021 में कुल फोलियो 1.49 करोड़ थे, जो दिसंबर 2020 में 57.09 लाख रहे थे। यहां तक कि योजनाओं की संख्या दिसंबर 2020 के 168 के मुकाबले बढ़कर दिसंबर 2021 में 225 हो गई।
बाजार के भागीदारोंं ने कहा कि नए निवेशकोंं ने पैसिव फंडों को चुना और यहां तक कि पिछले कुछ वर्षों में विदेश में निवेश करने वाले फंड ऑफ फंड्स का महत्व भी बढ़ा है।
दिसंबर में गोल्ड ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स में क्रमश: 313.35 करोड़ रुपये व 334.05 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। पिछले एक साल में गोल्ड फंडों और इंटरनैशनल फंडों ने क्रमश: -6.24 फीसदी व 15.13 फीसदी रिटर्न दिया है।
एलएक्सएमई की संस्थापक प्रीति राठी गुप्ता ने कहा, गोल्ड में निवेश पिछले महीने के 683 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले काफी ज्यादा घटकर 369 करोड़ रुपये रह गया। महंगाई के चलते कीमती धातु में उतारचढ़ाव देखा गया, ऐसे में फेडरल रिजर्व दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
पैसिव योजनाओं के अलावा ऐक्टिव फंडों और एसआईपी में निवेश मजबूत बना हुआ है। कैलेंडर वर्ष 2021 में इक्विटी योजनाओं में करीब 97,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जबकि एसआईपी के जरिए कैलेंडर वर्ष 21 में 1.14 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
एमएफ उद्योग के प्रतिभागियों का कहना है कि आने वाले समय में पैसिव योजनाओं में भागीदारी बढ़ेगी क्योंंकि नई पीढ़ी की कंपनियां उद्योग में प्रवेश करने वाली हैं, जिनका पैसिव योजनाओं में खासा निवेश होगा।
