साल 2021 में शानदार बढ़ोतरी के बाद नोमूरा समेत ज्यादातर ब्रोकरेज फर्मों ने अक्टूबर में भारतीय इक्विटी को डाउनग्रेड कर दिया था। हालांकि अवरोधों के बावजूद ब्रोकरेज को उम्मीद है कि 2022 के अंत तक एशियाई शेयर दो अंकों में रिटर्न देंगे।
एमएससीआई एशिया (जापान को छोड़कर) के लिए 2022 के अंत तक का उसका लक्ष्य 925 है, जो मौजूदा स्तर से करीब 18 फीसदी ज्यादा है। उसने कहा कि यह मोटे तौर पर आय में बढ़ोतरी और निचले आधार में इजाफे के चलते होगा।
हालांकि 2022 में उसे कुछ जोखिम नजर आ रहे हैं जो भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था व वित्तीय बाजारों को प्रभावित कर सकता है मसलन अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से नीतिगत बदलाव, महंगाई का जोखिम और कोरोना का नया रूप ओमीक्रोन आदि। नोमूरा ने कहा, एशियाई शेयरों में शायद ही अहम गिरावट आएगी क्योंंकि हम इस समय मूल्यांकन, पोजिशनिंग और फंडामेंटल देख रहे हैं। अमेरिकी महंगाई के उच्चस्तर पर पहुंचने और बढ़त के दोबारा रफ्तार पकडऩे के अलावा 2022 की पहली तिमाही में चीन में नीतिगत सहजता एशियाई शेयरों को राहत प्रदान करेगी। चीन, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया पर ब्रोकरेज ने अपना ओवरवेट रुख बरकरार रखा है। वह भारत व सिंगापुर पर तटस्थ रुख बनाए हुए है।
शेयर बाजार के मोर्चे पर भारतीय इक्विटी का मूल्यांकन नोमूरा के लिए बड़ी चिंता का विषय है। एमएससीआई इंडिया आगे के पीई के 22.5 गुने पर ट्रेड कर रहा है जबकि महामारी से पहले यह 18.8 गुने पर था। हालांकि साल 2022 में उसे कंपनियों की मजबूत आय का अनुमान है, जो उच्च मूल्यांकन को सहारा देगा। लेकिन नोमूरा का कहना है कि खुदरा निवेशकों की कम भागीदारी अहम जोखिम है।
अन्य अहम जोखिम यह है कि टीकाकरण के मोर्चे पर क्षेत्र में भारत पिछड़ा हुआ है। सरकारी वित्त की स्थिति भी लोकोपकारी/उच्च कर का जोखिम खड़ा करता है, खास तौर से कुछ राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए।
निवेश रणनीति पर नोमूरा ने कहा कि आपूर्ति शृंखला के अवरोध में कमी से वाहन क्षेत्र को मदद मिलेगी। इसके अलावा वह निजी बैंकों और जीएआरपी शेयरों (ग्रोथ एट रीजनेबल प्राइस) मसलन ईवी आपूर्ति शृंखला वाले शेयरों पर तेजी का नजरिया रखे हुए है।
ब्रोकरेज ने कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बाजार के अन्य भागीदारों के अनुमान के मुकाबले महंगाई स्पष्ट तौर पर व्यापक रही है। इससे सख्त मौद्रिक नीति की संभावना बढ़ी है, हालांकि ओमीक्रोन की अनिश्चितता से बाजार वापस पटरी पर आ सकता है, अगर बढ़त दोबारा तेज गति से हो। भारत पर खास तौर से जोखिम है क्योंंकि महंगाई का अनुमान बढ़ रहा है।
एलआईसी को इंडसइंड बैंक में हिस्सा बढ़ाने की इजाजत
भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को इंडसइंड बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 9.99 फीसदी तक करने की अनुमति दे दी है। अभी इस बैंक में एलआईसी की हिस्सेदारी 4.95 फीसदी है।
बीएसई को भेजी सूचना में बैंक ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को इस मंजूरी की जानकारी दी। यह मंजूरी विभिन्न नियमन आदि के अनुपालन पर निर्भर करेगी जिसमें निजी बैंकों में स्वामित्व पर निर्देश और सेबी के नियम शामिल हैं।
यह मंजूरी एक साल के लिए वैध होगी, यानी 8 दिसंबर 2022 तक। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, निजी बैंकों में 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए मंजूरी की दरकार होती है। इंडसइंड बैंक का शेयर बीएसई पर 2.4 फीसदी की गिरावट के साथ 944 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। बीएस