ये खूबसूरत नाम वाले कोई इक्विटी फंड नहीं हैं। इसके बजाए यह उन लोगों के लिए एक आदर्श निवेश योजना है जो ऋण (डेट) में भविष्य खोज रहे हैं।
इसमें इक्विटी निवेश पर मिलने वाले कर में राहत तो मिलती ही है, साथ ही साथ इक्विटी बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है। आयकर के लिहाज से इक्विटी सबसे योग्य परिसंपत्ति की श्रेणी है।
इक्विटी से होने वाली लाभांश आय और दीर्घकालिक पूंजी लाभ दोनों ही कर मुक्त हैं। निवेश के लिहाज से इक्विटी की प्रकृति उतार-चढ़ाव से भरी हुई है। आर्बिट्रेज फंड इस समस्या से निजात दिलाते हैं। इस मामले में ये डेट फंड की तरह हैं, लेकिन कर के मामले में इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड की तरह।
इस श्रेणी में आने वाले फंड नकद ओर डेरिवेटिव बाजार के बीच कीमतों में अंतर का फायदा उठाते हैं। आर्बिट्रेज फंड लंबे समय के लिए नकद बाजार में और कम समय के लिए वायदा बाजार में निवेश करते हैं। इस तरह से फंड प्रबंधक निवेश को जोखिम से बचाते हैं। बाजार की उथल-पुथल से अलग इक्विटी पर मिलने वाला प्रतिफल हमेशा ही बेहतर रह सकता है।
इसलिए एक तरफ जहां इन्हें इक्विटी फंड में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे निवेशकों को कर लाभ मिलता है, वहीं दूसरी तरफ ये डेट में भी निवेश करते हैं और इस तरह इक्विटी में उनके हिस्से की जोखिम कम हो जाती है। हालांकि इसमें इक्विटी से जुड़ा उतार-चढ़ाव नहीं है।
विश्वास करने के लिहाज से यह काफी अच्छा है? हां, है तो! खासतौर पर तब जब यह इतना साधारण नहीं है। शुरुआत करने के लिए आर्बिट्रेज के मौके जल्दी-जल्दी नहीं आते और इसमें मार्जिन कम रहता है। इसमें अधिक व्यय अनुपात का भी मुद्दा है, क्योंकि इस तरह के फंड की प्रकृति भारी ट्रेडिंग को आश्रय देना है।
साथ ही आप इस तरह के फंडों से बहुत ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद नहीं कर सकते। इसे समझना आसान नहीं है, इसलिए निवेश इस श्रेणी की अनदेखी कर देते हैं। लेकिन वर्ष 2008 की शेयर बाजार में गिरावट के दौर में इस तरह के फंडों को निवेशकों के सामने आने का मौका मिला है। इस वर्ष में इस श्रेणी का रिटर्न 8.52 प्रतिशत हो गया है।
आप चाहें तो इसे बेहतरीन या औसत कह सकते हैं। आप इसे कैसे लेते हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किसके साथ इसकी तुलना कर रहे हैं। अगर आप इसकी तुलना इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों (औसत -55.08 प्रतिशत की श्रेणी) से करेंगे, तो यह आपको अधिक नजर आएगा। अगर इसकी तुलना आप इनकम फंड (औसत 14.30 प्रतिशत की श्रेणी) से करते हैं तो आपको निश्चित रूप से निराशा हाथ लगेगी।
मौजूदा समय में इस श्रेणी में 16 फंड हैं। वर्ष 2008 के बाद कुछ फंडों ने खुद में बदलाव कर उन्हें पूरी तरह से डेट फंड में तब्दील कर दिया है। हमने इस फेहरिस्त को काफी संक्षिप्त कर नीचे तीन फंडों के बारे में बातचीत की है। इन तीन फंडों में उनके प्रदर्शन पर ध्यान दिया गया है।
एचडीएफसी आर्बिट्रेज रिटेल
इस फंड की खूबी यह है कि बाजार में गिरावट के दौर में यह एक बार सामने आया। जनवरी 2008 से मार्च 2009 के दौर पर नजर डालें तो उस समय 10 महीने के लिए बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई। इन 13 में 11 महीनों में इस फंड का प्रदर्शन औसत से बढ़िया रहा।
दूसरी तरफ पांच महीनों में जब बाजार में मोटी कमाई थी, फंड दो ही महीने में अपनी श्रेणी की औसत को पार कर पाने में सक्षम था। इस फंड का झुकाव वित्तीय क्षेत्र की ओर है और इसका औसत आवंटन 31.32 प्रतिशत है। दूसरी प्राथमिकता वाला ऊर्जा क्षेत्र इससे पीछे है जिसका औसत आवंटन 10.80 प्रतिशत है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ब्लेंडेड प्लान
इसका प्रदर्शन अच्छा और बुरा दोनों ही रहे हैं। वर्ष 2008 में इसने अपने निवेशकों को 9.25 प्रतिशत के रिटर्न के साथ खुश कर दिया था जो इस श्रेणी के बेहतरीन फंडों की फेहरिस्त में तीसरे स्थान पर था। लेकिन वर्ष 2007 में यह नीचे से तीसरे पायदान पर था।
पिछले एक साल से देखा जा रहा है कि फंड प्रबंधक अपने फैलते स्टॉक पोर्टफोलियो को कम करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। वर्ष 2007 में इसके पोर्टफोलियो में औसतन 60 शेयर थे, जो अब घटकर 23 रह गए हैं। हर समय स्टॉक पोर्टफोलियो वायदा बाजार में कम निवेश करता है और इस प्रकार इसकी पूरी तरह हेजिंग हो जाती है।
शेयरों के चयन में पंजाब नैशनल बैंक 3.79 प्रतिशत औसत आवंटन के साथ फंड का पसंदीदा शेयर है। लॉन्च के समय से ही फंड इसमें निवेश को बनाए हुए है। इसका व्यय अनुपात 1.15 प्रतिशत है।
यूटीआई स्प्रेड
बेहतरीन प्रदर्शन वाले आर्बिट्रेज फंडों में से एक है, जो वर्ष 2008 में इस श्रेणी में रिटर्न के लिहाज से सबसे ऊपर था। इस वर्ष में इसका रिटर्न 10.60 प्रतिशत रहा। जनवरी 2008 से मार्च 2009 तक में फंड ने अपनी श्रेणी में 12 महीने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
और इसका औसत बढ़िया प्रदर्शन भी कम प्रदर्शन करने वाले (4 आधार अंक की औसत) के मुकाबले हमेशा अधिक (22 आधार अंक की औसत) ही रहा है। जो निश्चित रूप से इसके आम बाजार चलन के खिलाफ चलने के उत्साही उद्देश्य का ही पुरस्कार है।
सितंबर 2007 से इसके इक्विटी आवंटन में लगातार कमी देखी जा रही है, बावजूद इसके इसमें कमोबेश हेजिंग हर समय बनी रही है। इसी सावधानी के चलते इक्विटी बाजार में अपने हाथ-पांव कटा लेने से यह बचा रहा और वर्ष 2008 में इसकी हिस्सेदारी डेट में बढ़ गई।
मौजूदा समय में इसका निवेश ऊर्जा क्षेत्र में (5.76 प्रतिशत), वित्तीय क्षेत्र में (1.54 प्रतिशत) और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में (0.42 प्रतिशत) है। सिर्फ 0.75 प्रतिशत का कम व्यय अनुपात सोने पे सुहागा है।
