गैर-बैंंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अपने त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में लाने का भारतीय रिजर्व बैंक आदेश इस क्षेत्र के लिए मोटे तौर पर तटस्थ रहेगा, यह कहना है विश्लेषकों का। विश्लेषकों का मानना है कि इसके दायरे में आने वाले कंपनियां पहले से ही नियमों का अनुपालन कर रही हैं।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट की बीएफएसआई विश्लेषक काजल गांधी ने कहा, चूंकि ज्यादातर सूचीबद्ध एनबीएफसी इस ढांचे के तहत आरबीआई के प्रावधानों का अनुपालन कर रही है, ऐसे में यह कदम इस क्षेत्र के लिए तटस्थ होगा।उन्होंंने कहा, यह कदम एनबीएफसी को आने वाले समय में और चौकस बनाने और डीएचएफएल या आईएलऐंडएफएस जैसे घटनाक्रम का दोहराव टालने के लिए उठाया गया है। आरबीआई चाहता है कि एनबीएफसी चौकस रहे और डिफॉल्ट के बाद उसकी जांच के घेरे में न आए।
आरबीआई ने मंगलवार को बड़ी एनबीएफसी के लिए पीसीए ढांचा लागू किया है, जिसके जरिये पारा-बैंकों पर पाबंदी लगाई गई है जब उसके वित्तीय मानक तय सीमा से नीचे आ जाएं।
मुख्य मानक होंगे कैपिटल टु रिस्क वेटेड ऐसेट रेश्यो (सीआरएआर), टियर-1 अनुपात और शुद्ध एनपीए (गैर-प्रदर्शन वाले निवेश समेत)। नए दिशानिर्देश के मुताबिक, पीसीए तब लागू हो जाएगा जब सीआरएआर नियामकीय अनिवार्यता से 300 आधार अंक नीचे आ जाएगा और टियर-1 पूंजी नियामकीय अनिवार्यता से 200 आधार अंक नीचे आ जाएगी व शुद्ध एनपीए 6 फीसदी से ऊपर चला जाएगा।
यह ढांचा 1 अक्टूबर 2022 से प्रभावी होगा और इसका आधार 31 मार्च या उसके बाद की वित्तीय स्थिति होगी। यह जमा लेने वाली एनबीएफसी व अन्य बड़ी एनबीएफसी पर लागू होगा, जो केंद्रीय बैंक के इस क्षेत्र के नियमन के मिडल, अपर व टॉप लेयर में होंगे।
हालांकि जो जमा नहींं स्वीकारती और परिसंपत्ति आकार 1,000 करोड़ रुपये से कम है, प्राइमरी डीलर्स, सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को इस ढांचे से छूट दी गई है।
अभी एमऐंडएम फाइनैंशियल सर्विसेज एकमात्र सूचीबद्ध एनबीएफसी है जिसका नेट नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट 6 फीसदी से ज्यादा है। 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा परिसंपत्ति वाली बड़ी एनबीएफसी में करीब तीन इकाइयां एनपीए के मानदंड का उल्लंघन कर रही हैं। हालांकि इक्रा के विश्लेषण के मुताबिक, इन इकाइयों की मूल कंपनी स्थापित कंपनियां हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने हालांकि कहा कि नियमन का इस क्षेत्र पर मिलाजुला असर होगा क्योंंकि इससे बड़ी एनबीएफसी को फायदा होगा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, आरबीआई के कदम से वैसी एनबीएफसी को झटका लगेगा जो बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए संघर्ष कर रही हैं और आसान फंडिंग तक उनकी पहुंच नहीं है।
लंबी अवधि के लिहाज से हालांकि विश्लेषक इस क्षेत्र को लेकर तेजी का नजरिया बनाए हुए हैं।
