म्युचुअल फंड उद्योग निकाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने आम बजट 2022-23 के लिए कई प्रस्ताव दिया है। इन सुझावों में सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों और डेट एमएफ पर कराधान में एकरूपता और नैशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) की तरह कराधान के साथ म्युचुअल फंडों को पेंशन योजनाएं पेश करने की अनुमति शामिल है।
एम्फी ने एक नोट में कहा, सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष निवेश और डेट म्युचुअल फंड की योजनाओं के जरिए उसी प्रतिभूति में अप्रत्यक्ष निवेश पर एकसमान कर व्यवहार होना तार्किक व उचित है। सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में प्रत्यक्ष निवेश (कंपनियों व एचएनआई द्वारा) और खुदरा निवेशकों की तरफ से म्युचुअल फंडों के जरिए अप्रत्यक्ष निवेश के बीच एकरूपता से कर राजस्व की खामियां भी दूर होंगी।
अभी लंबी अवधि की पूंजीगत परिसंपत्तियों की पात्र बनने के लिए डेट म्युचुअल फंड की यूनिट में न्यूनतम निवेशित अवधि 36 महीने है। हालांकि लंबी अवधि की पूंजीगत परिसंपत्तियों की पात्र बनने के लिए सूचीबद्ध प्रतिभूतियों मसलन बॉन्ड, ऋणपत्र, सरकारी प्रतिभूतियों, डेरिवेटिव आदि और जीरो कूपन बॉन्ड में निवेशित अवधि सिर्फ 12 महीने की है।
एमएफ के जरिये पूंजी बाजार के विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए एम्फी का सुझाव डेट लिंक्ड सेविंग स्कीम (डीएलएसएस) पेश करने का है ताकि भारतीय बॉन्ड बाजार को मदद मिले। एम्फी ने कहा है कि डीएलएसएस में 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर कर लाभ एक अलग सेक्शन के तहत दिया जाना चाहिए और इसकी लॉक इन अवधि पांच साल की हो, टैक्स सेविंग बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह।
इसके साथ ही एमएफ निवेश व बीमा कंपनियों की यूलिप पर पूंजीगत लाभ में एकसमान कर व्यवहार की मांग की गई है। बीमा कंपनियों की यूलिप से मिलने वाली रकम को आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) के तहत छूट मिलती है, अगर बीमा पॉलिसी में बीमित राशि सालाना प्रीमियम का कम से कम 10 गुना हो और उसकी निकासी पांच साल की लॉक इन अवधि के बाद की गई हो।
सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों की बिक्री व इक्विटी योजनाओं की यूनिट की बिक्री से लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर 10 फीसदी कर लगता है, अगर एलटीसीजी किसी वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से ज्यादा हो।
इसके अलावा एम्फी ने एमएफ योजनाओं की तरफ से वितरित की जाने वाली रकम पर विद्होल्डिंग टैक्स की सीमा बढ़ाने और ईएलएसएस में संशोधन की मांग की है ताकि 500 के गुणक के बजाय कोई भी रकम निवेश करने की अनुमति मिले।
एमएफ उद्योग के विकास के लिए एम्फी ने सुझाव दिया है कि बीमा कंपनियों को फंड प्रबंधन की गतिविधियां एएमसी से आउटसोर्स करने की इजाजत दी जाए।
अल्गो पर सेबी के प्रस्ताव पर ब्रोकरेज की आपत्ति
ब्रोकरेज कंपनियों ने एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) से जारी सभी ऑर्डर को अल्गो ट्रेडिंग मानने संबंधी बाजार नियामक सेबी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इससे भारत में ऐसे कारोबार की वृद्धि प्रभावित हो सकती है। अल्गो ट्रेडिंग को एल्गोरिद्म पर आधारित स्वचालित खरीद-बिक्री की प्रणाली माना जाता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में जारी एक परामर्श पत्र में खुदरा निवेशकों द्वारा की जाने वाली अल्गो ट्रेडिंग के नियमन का एक प्रारूप बनाने की बात कही है।
ब्रोकरेज फर्म ट्रेडस्मार्ट के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विकास सिंघानिया ने कहा कि अल्गो ट्रेडिंग पर नजर रखना आज की जरूरत है, लेकिन इस कोशिश में सेबी अल्गो ट्रेडिंग की वृद्धि में अवरोध पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, अगर सेबी के परामर्श पत्र में जारी सुझाव लागू कर दिए जाते हैं, तो ब्रोकरों के लिए एपीआई मुहैया करा पाना मुश्किल हो जाएगा। भाषा
