सूचीबद्घ फसल सुरक्षा या कृषि रसायन कंपनियां कृषि जिंस कीमतों में तेजी की मुख्य लाभार्थी बन सकती हैं। भारतीय के साथ साथ वैश्विक बाजारों, दोनों में अनुकूल हालात की मदद से उन्हें बढ़त मिलने की संभावना है। जहां राजस्व वृद्घि मजबूत रहने का अनुमान है, वहीं मार्जिन भी मजबूत रह सकता है, क्योंकि ये कंपनियां ऊंची उत्पादन लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने में सक्षम हो सकती हैं।
घरेलू बाजार में, परिदृश्य मजबूत रबी सीजन और सामान्य मॉनसून की उम्मीदों पर आधारित है। एडलवाइस रिसर्च के रोहन गुप्ता और भारत गुप्ता का कहना है, ‘असमय और असमान बारिश के बावजूद मॉनसून लगातार तीसरे साल सामान्य बना रहा। हमारा मानना है कि रबी परिदृश्य अच्छा बना हुआ है। बेहतर फसल कीमतें ऊंचा खरीद लक्ष्य दे सकती हैं, साथ ही अच्छे जलाशय स्तर भी मौजूदा रबी सीजन में प्रमुख कारक बन गए हैं।’ मौसम अनुमान जताने वाले कंपनी स्काइमेट ने इस साल सामान्य मॉनसून की संभावना जताई है और उसके अनुसार बारिश दीर्घावधि औसत के 96-104 प्रतिशत पर रह सकती है। जल स्तर भी पिछले वर्ष के मुकाबले ऊपर है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों, दोनों में फसल कीमतों में बरकरार तेजी एक प्रमुख कारक होगी। जहां मक्का, सोयाबीन और कपास में 39-65 प्रतिशत के बीच तक तेजी आई है, वहीं गेहूं की कीमतें पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत तक चढ़ी हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, गेहूं कीमतें 400 डॉलर प्रति टन की 14 साल की ऊंचाई पर पहुंची हैं, क्योंकि रूस और यूक्रेन से इसकी खेपें प्रभावित हुई हैं। प्रमुख फसलों में ऊंची कीमतों से फसल आय और किसानों का नकदी स्तर सुधरने की संभावना है।
यह कृषि रसायन कंपनियों के लिए सकारात्मक है और इससे उन्हें उत्पादन लागत दबाव ग्राहकों पर डालने तथा अपनीा मार्जिन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
जहां ऊंची कीमतें सभी कंपनियों के लिए सकारात्मक हैं, वहीं विश्लेषकों का मानना है कि कृषि रसायन निर्यातकों को घरेलू प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ज्यादा फायदा मिलेगा। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के रितेश गुप्ता और प्रसेनजीत भुइया का कहना है, ‘मौजूदा सकारात्मक वैश्विक कृषि चक्र से निर्यातकों और अनुबंध निर्माताओं को लाभ मिलने की संभावना है। इसके विपरीत घरेलू कृषि कंपनियों को कच्चे माल की लागत में वृद्घि और किसानों के मुनाफे पर दबाव की वजह से मार्जिन में कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है।’
ब्रोकरेज ने यूपीएल और पीआई इंडस्ट्रीज (पीआई) के लिए परिचालन लाभ अनुमान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 2 प्रतिशत तक ढ़ा दिया है। जहां यूपीएल को मौजूदा हालात और बाजार भागीदारी से लाभ मिलने की संभावना है, वहीं पीआई के मुनाफे में संशोधन उसके वैश्विक ग्राहकों से सकारात्मक टिप्पणियों को देखते हुए किए गए हैं। यूपीएल के लिए मुख्य कारक सकल ऋण में कमी है और ब्रोकरेज फर्म को वित्त वर्ष 2022 में 40 करोड़ डॉलर की कमी आने का अनुमान है। जहां ब्रोकरेज ने कीमत लक्ष्य बढ़ा दिया है वहीं उसने दोनों शेयरों के लिए बिकवाली रेटिंग भी दी है, क्योंकि सकारात्मक बदलावों का इन पर असर काफी हद तक पहले ही दिख चुका है।
अल्पावधि में बाजार का ध्यान मार्च तिमाही नतीजों पर रहेगा। कृषि उत्पाद निर्माताओं के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिलिपकैपिटल के दीपक चित्रोदा और सूर्य पात्रा ने कहा कि निर्यात मांग और ऊंची प्राप्तियों की मदद से बिक्री सालाना आधार पर 23 प्रतिशत तक बढ़ेगी। निर्यातकों को बिक्री के मुकाबले कीमतों में ज्यादा तेजी का अनुमान है, जिससे कंपनियों को ऊंची लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने में मदद मिल सकती है।
कई ब्रोकरों को घरेलू कंपनियों द्वारा चौथी तिमाही में सुस्त वृद्घि दर्ज किए जाने का अनुमान है। प्रभुदास लीलाधर रिसर्च के हिमांशु बिनानी के अनुसार, इसकी वजह हैं घरेलू कंपनियों के लिए अपेक्षाकृत कमजोर तिमाही, जिसमें खासकर दक्षिण भारत में विपरीत मौसम हालात और कोविड-19 की तीसरी लहर का प्रभाव मुख्य रूप से शामिल है, जिससे वस्तुओं और लोगों की आवाजाही सीमित हुई है। उन्हें निर्यात केंद्रित कंपनियों, जैसे यूपीएल, शारदा क्रॉपकेम, पीआई इंडस्ट्रीज और सुमितोमो केमिकल की स्थिति तिमाही में क्षेत्रीय राजस्व/मुनाफा वृद्घि चार्टों पर अच्छी रहने का अनुमान है।
हालांकि परिचालन लाभ सालाना आधार पर 9-19 प्रतिशत के दायरे में बढ़ सकता है, वहीं ऊंची कच्चे माल की लागत की वजह से इस सेक्टर के लिए मार्जिन काफी हद तक सपाट नबा रह सकता है।
निर्यातकों के लिए अनुकूल रुझान भी सूचीबद्घ शेयरों पर दिख रहा है। पूरी तरह से कृषि रसायन निर्यात से जुड़ी कंपनी शारदा क्रॉपकेम का शेयर पिछले महीने के दौरान 29 प्रतिशत तक चढ़ा, जो पिछले तीन महीनों के दौरान दोगुनी से ज्यादा की वृद्घि है, जबकि धानुका एग्रीटेक में पिछले महीने के दौरान 5 प्रतिशत तक की तेजी आई और तीन महीने के आधार पर यह सपाट बना रहा।