सर्वोच्च न्यायालय से अनुकूल फैसला मिलने के साथ ही भारतीय लेनदारों ने डूबते ऋण खातों के मामले में व्यक्तिगत गारंटी को भुनाना शुरू कर दिया है। लेनदारों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून की अवधि में ऐसे 56 खातों के खिलाफ कार्रवाई की और प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी (8,437 करोड़ रुपये) को भुनाना शुरू कर दिया है।
लेनदारों ने अब तक ऐसे 201 मामलों में 34,000 करोड़ की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाया है जबकि इन कंपनियों पर कुल बकाया 37,861 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2020-21 में 115 खातों की कंपनियों द्वारा 26,000 करोड़ रुपये के ऋण की अदायगी में चूक किए जाने के तुरंत बाद व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने की कार्रवाई शुरू की गई थी।
दिवालिया पेशेवरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 30 जून तक 201 आवेदन दायर किए गए थे। इनमें से 17 आवेदन देनदारों द्वारा दायर किए गए जबकि 184 आवेदन लेनदारों की ओर से दायर किए गए। ये आवेदन ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) 2016 की धारा 94 एवं 95 के तहत दायर किए गए हैं।
भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। लेनदार अब नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में कहीं अधिक मामले दायर कर रहे हैं। ऋण वसूली ट्रिब्यूनल में 7 मामले दायर किए गए जबकि एनसीएलटी में 194 मामले दायर किए गए हैं। लेनदारों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब यह कानून बिल्कुल स्पष्टï हो गया है और ऐसे में कहीं अधिक मामले दायर किए जा सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल मई में अपने एक फैसले के तहत बैंक ऋण की अदायगी में चूक करने वाली कंपनियों के प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने संबंधी 2019 की सरकारी अधिसूचना को बरकरार रखा था। न्यायालय ने ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी भेजी गईं कंपनियों के शीर्ष भारतीय प्रवर्तकों के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंकों को अनुमति दी थी।