इंजीनियरिंग क्षेत्र की इस बहुराष्ट्रीय कंपनी का प्रदर्शन एक बार फिर बहुत खस्ता रहा है।
कंपनी के राजस्व में साल-दर-साल के हिसाब से 9 फीसदी की कमी आई और यह 1,406 करोड रुपये रही। पिछले आठ सालों में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि कंपनी की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है जबकि शुध्द मुनाफे में 33 फीसदी की कमी आई।
अगर कंपनी के मार्च की तिमाही में प्रदर्शन को आंका जाए तो कम से कम इसे निराशाजनक तो जरूर कहा जा सकता है। परिचालन मुनाफा मार्जिन 210 आधार अंकों की गिरावट के साथ 9.1 फीसदी रह गया। हालांकि मार्जिन के कुछ हिस्से में आई गिरावट के लिए कंपनी द्वारा नई सुविधाएं शुरू करने के पीछे आए खर्च को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछली कई तिमाहियों में पहली बार कंपनी के उत्पाद कारोबार के राजस्व में ठहराव देखा गया जबकि परियोजनाओं से आने वाले राजस्व में गिरावट देखी गई। कंपनी के लिए सबसे चिंताजनक बात ऑटोमोशन प्रॉडक्ट कारोबार के मार्जिन में गिरावट रही जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने या कीमतों में गिरावट का संकेत मिला।
कंपनी के लिए कुछ हद तक शुभ समाचार यह रहा कि इसे मिलने वाले ठेके की संख्या में इजाफा देखने को मिला। हालांकि साल-दर-साल के हिसाब से इसमें 14 फीसदी की कमी देखने को मिली लेकिन क्रमागत आधार पर दिसंबर 2008 की तिमाही में 1,260 करोड रुपये के कम आधार के बावजूद इसमें 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
कंपनी को मिलने वाले ठेकों की संख्या में हुई बढ़ोतरी शुभ संकेत के तौर पर देखा जा सकता है और इस बात का संकेत माना जा सकता है कि कहीं न कहीं कारोबारी माहौल में सुधार हो रहा है। हालांकि मौजूदा कारोबारी माहौल को देखते हुए परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी होने की संभावनओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस बाबत विश्लेषकों का मानना है मौजूदा माहौल को देखते हुए इस बात के कम ही आसार हैं कि एबीबी वर्ष 2009 में 10 फीसदी से ज्यादा का राजस्व अर्जित कर पाएगी। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने वर्ष 2008 में 6,887 करोड रुपये का राजस्व अर्जित किया था।
हालांकि कंपनी के परिचालन मुनाफे में बढ़ोतरी की संभावना है लेकिन विश्लेषक इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि ऊंचे ब्याज और डेप्रीसिएशन(मूल्य ह्रास) खर्च कंपनी के लिए चिंता का सबब बन सकती है जिसकी वजह से कंपनी के मुनाफे में सेंध लग सकती है।
एचडीएफसी: अच्छी वापसी
आवासीय ऋण प्रदान करने वाली बड़ी कंपनी एचडीएफसी ने मुश्किलों भरी तिमाही में भी धमाकेदार ढंग से वापसी की है। अगर एचडीएफसी के मार्च 2009 की तिमाही के आंकडों पर नजर डालें तो यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है।
इस अवधि के दौरान तिमाही-दर-तिमाही आधार पर कंपनी की शुध्द ब्याज आय 11 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 871 करोड रुपये रही। हालांकि यह अलग बात है कि साल-दर-साल के हिसाब से यह संख्या सपाट रही हो। फं डों के इन्क्रीमेंटल खर्च में क्रमागत आधार पर गिरावट की वजह से कंपनी को फंडों की कीमतों में करीब 50-75 आधार अंकों की कमी करने में मदद मिली।
कर्जों के आवंटन की रफ्तार पिछले साल ऊंचे आधार की वजह से 17 फीसदी ज्यादा रही जिससे इस बात के संकेत मिले हैं कि कारोबार के लिहजा से बुरा दौर जल्द ही समाप्त हो सकता है। दिसंबर 2008 की तिमाही में कर्ज की रफ्तार में कमी एचडीएफसी के लिए जरूर चिंता का विषय थी।
हालांकि निवेशों और एक्सेप्शनल आइटम की बिक्री से पूर्व साल-दर-साल के हिसाब से मुनाफे में 16 फीसदी बढोतरी भले ही बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं लग रही हो लेकिन अगर आंकडों की गुणवत्ता की बात की जाए तो निश्चित तौर पर यह बेहतर है।
इसकी प्रमुख वजह यह रही कि मार्च 2009 की समाप्ति के अंत में कंपनी के गैर-निष्पादित धन या एनपीए में कमी देखी गई और यह 0.68 फीसदी के स्तर से गिरकर 0.56 फीसदी रह गई। वित्त वर्ष 2008-09 में कारोबार की रफ्तार 2.2 फीसदी रही जो वित्त वर्ष 2007-08 के 2.32 फीसदी के मुकाबले थोडी क़म रही।
कंपनी के शेयरों में काफी तेजी देखने को मिली है लेकिन यह देखते हुए कि विकास की चिंताओं को भी तवाो दी गई है, इसे देखते हुए शेयरों का कारोबार पूर्व की तरह ही बड़े प्रीमियम पर होना चाहिए।
