गोल्ड ईटीएफ में लगातार सातवें महीने (अक्टूबर) में निवेश हुआ और इस साल कुल निवेश 6,341 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अक्टूबर में हालांकि निवेश थोड़ा नरम होकर 384 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले महीने 597 करोड़ रुपये रहा था।
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी निवेशक के पोर्टफोलियो में सोना एक रणनीतिक परिसंपत्ति के तौर पर रहता है क्योंंकि इसमें प्रभावी डाइवर्सिफायर के तौर पर काम करने की क्षमता होती है और बाजार के मुश्किल हालात और आर्थिक गिरावट के दौरान नुकसान को समाप्त करने की भी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, सभी अहम अर्थव्यवस्थाएं बढ़त की राह पर लौटने के लिए संघर्ष कर रही है क्योंंकि कोरोनावायरस महामारी से प्रतिकूल व भारी आर्थिक असर पड़ा है। सुरक्षित ठिकाने के तौर पर मशहूर सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्ति के तौर पर उभरी है और निवेशकों के लिए निवेश का तरजीही गंतव्य बन गई है।
हाल में सोने की कीमतें सर्वोच्च स्तर से नीचे आई है, लेकिन इसके पहले इस साल इसमें अबाध गति से तेजी देखने को मिली है। श्रीवास्तव ने कहा, इन चीजोंं ने शायद निवेशकों को पीली धातु मेंं निवेश का अच्छा प्रवेश स्तर मुहैया कराया होगा।
यूरोप और अमेरिका में कोरोनावायरस के बढ़ते मामले और इसके कारण लॉकडाउन किए जाने ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार पर संदेह पैदा कर दिया है। श्रीवास्तव ने कहा, निवेशक लगातार जोखिम वाली परिसंपत्तियों में अपने निवेश की हेजिंग कर रहे हैं और इसके लिए वे सोने में एक हिस्सा निवेश कर रहे हैं क्योंकि इसे अनिश्चितता के दौर में सुरक्षित माना जाता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था व बाजारों पर कोरोनावायरस के असर को देखते हुए इस क्षेत्र पर निवेशकोंं का रुझाना बना रह सकता है। भारत में सोने की कीमतें इस साल करीब 30 फीसदी चढ़ी है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 2020 में 1,003 टन के शुद्ध निवेश ने गोल्ड ईटीएफ को सितंबर में 3,880 टन के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा दिया।
