भारतीय टीका विनिर्माताओं को लगता है कि वैश्विकसमुदाय कोविड-19 महामारी के दौरान तैयार भारत की टीका उत्पादन की विशाल क्षमता का लाभ उठा सकता है।
पिछले साल दुनिया ने सार्स-सीओवी-2 टीके की 11 बिलियन खुराकों का उत्पादन किया था। यह वैश्विक स्तर पर सभी टीकों को एक साथ रखकर उनकी कुल टीका उत्पादन क्षमता के मुकाबले लगभग तीन गुना ज्यादा है, जो एक वर्ष में चार अरब खुराक से कम थी। क्या इससे किसी विशेष प्रकार के टीके की अधिक आपूर्ति हो रही है?
बायोएशिया 2022 के दौरान कॉर्बेवैक्स टीके की विनिर्माता, बायोलॉजिकल ई की प्रबंध निदेशक महिमा दतला ने कहा कि हालांकि कुछ देशों के मामले में अधिक आपूर्ति होना सच है, लेकिन लेकिन अफ्रीका आदि देशों के मामले में निश्चित रूप से यह सच नहीं है। उन्होंने कहा कि कारोबारी पक्ष की ओर से कोई यह कह सकता है कि अगर कंपनियां केवल सार्स-कोवी-2 के लिए क्षमता निर्माण कर रही थीं और उनकी पाइपलाइन में अन्य टीकों का निर्माण करने के लिए उसका इस्तेमाल करने का कोई तरीका या योजना नहीं थी, तो यह एक मुद्दा बन गया होता। इन्हें कुछ प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों में निवेश के तौर पर देखना सबसे अच्छी बात है, जिनका उपयोग नियमित टीके बनाने और भविष्य की महामारियों के लिए टीकों का निर्माण करने के लिए भी किया जा सकता है।
भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला का कहना है कि भारत में अब चार बीएसएल-4 कंटेनमेंट सुविधा केंद्र हैं, जो ब्रिटेन के बराबर हैं। वह कहते हैं कि ब्रिटेन के अलावा दुनिया के किसी भी देश के पास चार बीएसएल-3 सुविधा केंद्र नहीं हैं। देश में ये सुविधा केंद्र बेंगलूरु और पुणे में फैली हुए हैं।
बीएसएल या जैव सुरक्षा स्तर जैविक सुरक्षा के स्तरों को बताता है। प्रयोगशालाओं को बीएसएल-1 से लेकर बीएसएल-4 तक के चार स्तरों में वर्गीकृत किया जाता है, जो खतरनाक और संभावित घातक रोगणुओं को संभालने की उनकी क्षमता के आधार पर निर्भर होता है। एल्ला ने कहा कि हमारे पास आठ बीएसएल-3 सुविधा केंद्र – भुवनेश्वर, पुणे, बेंगलूरु और हैदराबाद हैं। इसलिए कोई भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय कंटेनमेंट सुविधा केंद्रों को हब के रूप में इस्तेमाल करने के मामले में भारत पर निर्भर हो सकता है। ये साझेदारी भी हो सकती हैं। कई देशों के पास बीएसएल-3 कंटेनमेंट के सुविधा केंद्र नहीं है। यह बात भविष्य में महत्त्वपूर्ण होने वाली है। वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओं की ओर इशारा कर रही थीं।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन टीका विनिर्माण में वैश्विकसहयोग के संबंध में सहमत दिखाई देती हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए हमें एक वितरण करने वाले विनिर्माण नेटवर्क की आवश्यकता है, जिसके लिए हमारे पास दक्षिण अफ्रीका में एमआरएनए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र है। कई कंपनियां दूसरी पीढ़ी की एमआरएनए प्रौद्यौगिकी पर काम कर रही हैं। कोई भी क्षेत्र टीकों या अन्य स्वास्थ्य उत्पादों के आयात के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
भारतीय फर्मों ने कोविड-19 के टीके बनाने के लिए विशाल क्षमता का निर्माण किया है। बायोलॉजिकल ई एक साल में कॉर्बेवैक्स की एक अरब खुराकें बना सकती है। यह पहले ही भारत सरकार को 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति कर रही है।
