आम जनता के साथ साथ महाराष्ट्र सरकार के प्रतिरोध का सामना करने के बावजूद, अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का लगभग 60 प्रतिशत अधिग्रहण पूरा हो चुका है। हालांकि, कोरोना के प्रकोप के चलते दिसंबर 2023 की समयसीमा को पूरा करना अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर रही कंपनी नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने कहा, ‘हम बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। हमने परियोजना के लिए आवश्यक भूमि के 60 प्रतिशत हिस्से का अधिग्रहण कर लिया है। दिलचस्प बात यह है कि गुजरात में लगभग 77 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण हो चुका है।’
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए जरूरी कुल भूमि की मात्रा घटाकर 1,380.08 हेक्टेयर की गई थी, जो पिछले साल 1,434.47 हेक्टेयर थी। आवश्यक कुल भूमि में से 1,004.91 हेक्टेयर निजी भूमि है। अब तक, लगभग 820-830 हेक्टेयर भूमि का एनएचएसआरसीएल द्वारा अधिग्रहण किया जा चुका है।
सरकार ने जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के साथ 88,000 करोड़ रुपये की कुल ऋण राशि में से 15,000 करोड़ रुपये देने के लिए एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। मुंबई-अहमदाबाद परियोजना की अनुमानित कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से 81 प्रतिशत की लागत जेआईसीए द्वारा दिए जाने वाले कर्ज से वहन की जाएगी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कड़े विरोध के बावजूद परियोजना पर काम जारी है। ठाकरे ने मराठी दैनिक सामना को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘अगर कोई बिना ब्याज के या बहुत कम ब्याज दर पर कर्ज देता है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हम वो कर्ज ले लें और किसानों से जमीन छीन लें। यह एक सफेद हाथी की तरह है।’
इस परियोजना के विरोध में एक अभियान की अगुआई करने वाले नैशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स के एक पदाधिकारी कृष्णकांत चौहान ने कहा, ‘भूमि अधिग्रहण का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो गया है। विडंबना यह है कि सामाजिक प्रभाव एवं पर्यावरण प्रभाव आदि मुद्दों पर लोगों के सवालों का जवाब नहीं दिया गया। गुजरात में दबाव तथा बल के साथ अधिग्रहण किया गया है और महाराष्ट्र में भी सरकार ने प्रत्यक्ष खरीद के पुराने मॉडल के नियमों को बदल दिया है। अभी भी, महाराष्ट्र में पालघर और गुजरात के नवसारी जैसे क्षेत्रों में अधिग्रहण करना अधिकारियों के लिए काफी मुश्किल काम होगा।’ भूमि अधिग्रहण के अलावा, परियोजना के सामने चिंता का दूसरा प्रमुख कारण जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण लागत में वृद्धि होना है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में किसान अधिक मुआवजा पैकेज की मांग कर रहे हैं।
508.17 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क महाराष्ट्र में तीन जिलों (मुंबई, ठाणे, और पालघर) और गुजरात में आठ जिलों (वलसाड, नवसारी, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, खेड़ा और अहमदाबाद) से होकर गुजरेगा। यह केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली के एक छोटे हिस्से से भी गुजरता है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार भी शुरू में असंतोष जाहिर कर रही थी लेकिन राज्य सरकार ने अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए हाल ही में राज्य भूमि नियमों में संशोधन किया क्योंकि भूमि की प्रत्यक्ष खरीद प्रक्रिया में बहुत अधिक समय लग रहा था।
पिछले साल कंपनी ने नौ सिविल वर्क टेंडर जारी किए थे और खरे का कहना है कि इन्हें जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में खोला जाएगा। इस रेल नेटवर्क में स्टेशनों, पुलों, डिपो निर्माण एवं रखरखाव और सुरंगों के निर्माण आदि के लिए 20,000 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है। हालांकि, इलेक्ट्रिकल, रोलिंग स्टॉक, सिग्नलिंग और ट्रैक जैसी प्रमुख निविदाएं शिंकसेन टेक्नोलॉजी सहित केवल जापानी कंपनियों के लिए खुली होंगी।
