इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मूनलाइटिंग को लेकर पूरे देश में चल रहे बहस के बीच कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए। समाचार वेबसाइट जी बिजनेस के अनुसार उन्होंने आगे कहा कि कई कर्मचारी बड़ी बड़ी कंपनियों में नौकरी पाने के बाद अपना पूरा जीवन उसी कंपनी में बिता देते हैं। चंद्रशेखर ने शुक्रवार को पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। हालांकि मंत्री ने यह भी कहा कि मूनलाइटिंग के कारण कंपनी के साथ किए गए अनुबंध का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
क्या होती है मूनलाइटिंग
किसी भी कंपनी में काम कर रहा कोई भी पेशेवर व्यक्ति अगर अपनी नौकरी के साथ साथ कहीं और भी काम काम करता है तो उसे तकनीकी भाषा में मूनलाइटिंग कहते हैं। आईटी उद्योग में मूनलाइटिंग काफी लोकप्रिय हो गया है क्योंकि कोरोना महामारी के बाद लोगों को घर से काम करना पड़ रहा है। कई कंपनी ने शुरू से ही इसका विरोध करते आ रहे हैं क्योंकि कंपनी का मानना है कि इससे लोगों की उत्पादकता कम होती है।
विप्रो ने अपने कर्मचारियों को निकाला
हाल में विप्रो ने अपने 300 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। कंपनी का कहना था कि ये सभी कर्मचारी दूसरे संस्थानों में भी काम करते थे। दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने इसे कंपनी के साथ धोखा बताया। ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिशद प्रेमजी ने कहा कि मूनलाइटिंग पूरी तरह से कंपनी के प्रति निष्ठा का उल्लंघन है। एक साथ विप्रो और किसी दूसरे के लिए काम करने वाले के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है।