आज सभी बिल्डर किफायती मकान (अफोडर्बल हाउसिंग) का मंत्र जप रहे हैं। अचानक इनको यह आभास हुआ कि देश में करीब 250 लाख रिहाइशी इकाइयों की कमी है और इसकी सबसे ज्यादा जरूरत मध्यम और कमजोर आय वर्ग वालों को है।
इसके बाद तो करीब-करीब सभी बड़े नामों ने आम आदमी के लिए अपने नए अफोडर्बल प्रोजेक्टों का ऐलान कर डाला। लेकिन ये रिहाइशी प्रोजेक्ट कितने अफोडर्बल हैं या फिर कब शुरू होंगे, पता नहीं।
जानकारों का मानना है कि बिल्डर फिलहाल ब्याज दरों में और कमी की उम्मीद कर रहे हैं। उधर, फिक्की भी उनकी पैरवी में किफायती मकानों के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को वित्तीय सहायता देने को कह रहा है।
रियल स्टेट के एक पोर्टल इंडियाप्रॉपर्टी डॉट कॉम ने तो इस चिंता से निपटने के लिए अलग से एक श्रेणी ही शुरू कर दी है-अफोडर्बलहाउसिंग डॉट इंडियनप्रॉपर्टी डॉट कॉम। लेकिन ये रिहाइशी इकाइयां कितनी अफोडर्बल हैं, इसकी कीमतों से ही पता चलता है।
तीस से चालीस लाख रुपये के मकान भी अब अफोडर्बल की श्रेणी में आ गए हैं। 20 लाख रुपये के फ्लैटों की बात की भी जा रही है, वह शहर से सौ किलोमीटर दूर हैं। वैसे भी 40 लाख रुपये का फ्लैट आम आदमी के लिए किस तरह अफोडर्बल होगा, यह किसी भी गणित से गले नहीं उतर पाता।
ऐसे में आम आदमी की वहन करने की सीमा क्या है, यह समझ लेना भी जरूरी है। चालीस लाख रुपये के फ्लैट को इस श्रेणी में रखने से लगता है कि आम आदमी की परिभाषा भी अपनी सुविधा से गढ़ी जा रही है।
आंकडो के मुताबिक, अगर यह माना जाए कि बैंक किसी की टेक होम सैलरी का 50 फीसदी तक कर्ज देते हैं। यानी 40 लाख रुपये के फ्लैट पर 30 लाख रुपये का लोन लेने के लिए कम से कम दस लाख रुपये सालाना की कमाई होनी चाहिए।
हां, अगर ब्याज दरें और गिरकर 8 फीसदी हो जाएं, तो भी कम से कम सालाना 8.5 लाख रुपये की कमाई जरूरी होगी। एमके रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, 30 लाख रुपये के लोन पर 33,334 रुपये की मासिक किस्त आएगी और इसके लिए आपकी टेक होम सैलरी 66,667 रुपये होनी चाहिए।
तभी आप ऐसा अफोडर्बल हाउस खरीद पाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, अफोडर्बल हाउसिंग स्कीमों की अचानक आई इस भीड़ में डीएलएफ और पूर्वांकरा जैसे बड़े नाम भी 35-45 लाख रुपये की रेंज में फ्लैट तैयार कर रहे हैं।
ये दोनों ही कंपनियां ब्याज दरों की कमी का लाभ उठाने के लिए सेक्टर के लिहाज से बेहतर हालत में हैं। डीएलएफ ने अपनी कुल एनएवी का 12.8 फीसदी मिड हाउसिंग सेगमेंट में लगा रखा है, जबकि पूर्वाकरा की कुल एनएवी का 63.9 फीसदी हिस्सा रिहाइशी क्षेत्र में है।
इसके अलावा, कई बिल्डरों ने मिड हाउसिंग स्कीमों का ऐलान किया है, लेकिन बहुत कम ही हैं, जिन्होंने अभी किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। यूनीटेक, ओमेक्स और एचडीआईएल ने भी मिड हाउसिंग कैटेगरी के फ्लैट बनाने का ऐलान किया है।