भारत सरकार की ओर से शुरू की गई ‘खादी कारीगरों के लिए वर्कशेड स्कीम’ (डब्ल्यूएसकेए) से जल्द ही पूरे उत्तर प्रदेश के बुनकरों को लाभ पहुंचने की संभावना है।
खादी कारीगरों को सशक्त बनाए जाने, आय सृजन और बेहतर कार्य माहौल की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत बड़े और अत्याधुनिक करघों की पेशकश की जाएगी।
खादी ऐंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन (केवीआईसी)-लखनऊ के निदेशक आर. एस. पांडे ने बिजनेस स्टैंडर्ड समाचार पत्र को बताया, ‘अत्याधुनिक करघों की स्थापना के जरिये आधुनिकीकरण किया जाना समय की मांग है।
हालांकि पावरलूम बुनकरों के पास मौजूदा समय में अत्याधुनिक करघों और उपयुक्त परिसरों का अभाव है। उपयुक्त जगह के अभाव जैसी समस्या आधुनिकीकरण की मंद गति की प्रमुख वजहों में से एक है।’
उन्होंने कहा, ‘पूरे राज्य में तकरीबन 2,060 वर्कशेड बनाए जाने की योजना है। इस कदम से रोजगार गारंटी के साथ व्यावहारिक परिवेश तैयार हुआ है।’
इस योजना का उद्देश्य वैश्विक बाजार में बुनकरों की क्षमता बढ़ाने के लिए आधुनिक बुनाई मशीनों के साथ पावरलूम क्लस्टरों की स्थापना करना है।
11वीं पंचवर्षीय योजना (2008-09 से 2011-12) के लिए यह स्कीम लागू की गई है और एक केंद्रीय क्षेत्रीय योजना के रूप में तैयार यह स्कीम 38,000 खादी कारीगरों को 10,000 वर्कशेड मुहैया कराएगी। पूरे भारत में इस स्कीम पर तकरीबन 25 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इस स्कीम के तहत वर्कशेड के निर्माण के लिए इकाई की कुल निर्माण लागत के 25 फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना के तहत जिन इलाकों की पहचान की गई है, उनमें लखनऊ, गोरखपुर, मेरठ और वाराणसी प्रमुख रूप से शामिल हैं।
राज्य के लिए 2008-09 के लिए 5.15 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित है। पांडे ने कहा, ‘उन खादी कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो बीपीएल श्रेणी में आते हैं।
वर्कशेड के निर्माण के लिए सहायता उन खादी संस्थानों के जरिये मुहैया कराई जाएगी जिनसे ये खादी कारीगर जुड़े हुए हैं।’ पूरे राज्य में बुनकर और सूत कातने वाले तकरीबन एक लाख लोग खादी उद्योग से जुड़े हुए हैं।
