वैट के जरिए राजस्व घाटे की भरपायी की उत्तर प्रदेश सरकार की कोशिशें परवान चढ़ते नहीं दिख रही हैं।
रोजमर्रा की जरूरी चीजों पर वैट की दरें बढ़ाने के बाद भी प्रदेश में राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। हालात यह है कि सबसे बड़ा राज्य होने के बाद भी उत्तर प्रदेश वैट से राजस्व प्राप्ति में तमिलनाडु, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से पीछे है।
वैट वसूली अपेक्षाओं के अनुरूप न होने पर वाणिज्य कर आयुक्त अनिल संत ने अफसरों को निर्देश जारी कर इस बात की जांच के लिए कहा है कि व्यापारी पूरा कर जमा कर रहे हैं या नहीं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल जनवरी में वैट लागू किया है।
उत्तर प्रदेश वैट लागू करने वाला देश का आखिरी राज्य है। वैट लागू करने के बाद प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2008-09 में राजस्व वसूली का लक्ष्य 20533.03 करोड़ रुपये रखा। अकेले सितंबर महीने में उत्तर प्रदेश सरकार ने वैट से राजस्व वसूली का लक्ष्य 1495.18 करोड़ रुपये रखा था, जिसके मुकाबले 1159.45 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पायी है।
सरकार ने वसूली की दर पर चिंता जताते हुए अधिकारियों को हर जोन में कंपनियों के सत्यापन का अभियान चलाने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने वैट से मिलने वाले राजस्व को बढ़ाने के लिए बीते महीने कैबिनेट की बैठक कर सेलफोन, साबुन, फेस क्रीम, टीवी, टायर, साइकिल, रिक्शा, फ्रिज, एयर कंडीशनर, पाइप, कॉफी, जेली, जूस, सुपारी, सीडी, डीवीडी जैसी 38 चीजों पर वैट की दर 4 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 कर दिया था।
राजस्व वसूली में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से पीछे
सरकार ने जताई चिंता, कंपनियों की जांच का दिया निर्देश