पूरे सप्ताहांत इस बात पर चर्चा जारी रही कि ट्विटर इंडिया ने उन ट्वीट को हटाने के आग्रह का पालन किया जिसमें कथित तौर पर इस बात को लेकर सरकार की आलोचना की गई कि यह कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का प्रबंधन करने में नाकाम रही है। हालांकि, सरकार के सूत्रों ने कहा कि इन ट्वीट के जरिये गलत सूचना फैलाई जा रही थी और महामारी की मौजूदा लहर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल किया जा रहा था। शनिवार की मीडियानामा की रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर ने सरकार के कहने पर 52 ट्वीट हटा दी जिनमें सांसद रेवंत रेड्डी, पश्चिम बंगाल के मंत्री मलय घटक, अभिनेता विनीत कुमार सिंह और फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी और अविनाश दास के नाम शामिल हैं। डिजिटल पॉलिसी वेब पोर्टल, ल्यूमेन डेटाबेस ने बताया कि ट्विटर ने उससे ट्वीट हटाने के लिए मिले आग्रह के बारे में सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया है। यह डिजिटल पॉलिसी वेब पोर्टल सोशल मीडिया कंपनियों सहित उन प्राइवेट कंपनियों के बयान का खुलासा करता है जिन्हें पोस्ट या सामग्री हटाने का कानूनी नोटिस दुनिया भर की सरकारों और निजी संस्थाओं से मिलता है। हालांकि ये ट्वीट केवल भारत में ही हटाए गए हैं। ट्विटर की नीति के मुताबिक यह कुछ सामग्री किसी खास देश से ही हटा सकती है ताकि वह सामग्री केवल उस देश में न दिखे। हालांकि यह सामग्री दूसरे देशों में दिखती रहेगी। भारत सरकार ने गुरुवार और शुक्रवार को सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत ट्विटर को कानूनी नोटिस भेजा। ताजा कार्रवाई में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के ट्वीट को भी हटाया गया है और उन्होंने रविवार को इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं इस विभाग के मंत्री रविशंकर प्रसाद को कानूनी नोटिस भेजा। खेड़ा ने इस कानूनी नोटिस की कॉपी भी ट्वीट की। अपने ट्वीट में खेड़ा ने कुंभ मेले जैसे सामूहिक समारोहों की ऐसे वक्त पर अनुमति देने के सरकार के ‘दोहरे मापदंड’ पर सवाल उठाया था जब कोविड-19 महामारी की एक घातक दूसरी लहर देश में फैली हुई है जबकि पिछले साल तबलीगी जमात की इससे काफी कम लोगों की सभा को वायरस फैलाने के लिए बढ़-चढ़कर दोषी ठहराया गया था। यह ट्वीट अब हटाया जा चुका है।
