साख बनाने में कई बरस लग जाते हैं लेकिन उस साख को तार-तार करने में चंद लम्हे खर्च होते हैं।
आईटी की दुनिया में बरसों की मेहनत से बटोरी साख गंवाने का ऐसा ही काम सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक बी रामलिंग राजू ने किया।
देश के कॉर्पोरेट इतिहास में अब तक के सबसे बड़े घोटाले की धमक थम गई है। सत्यम को टेक महिंद्रा ने खरीद लिया है, और कहा जा रहा है कि अब सब कुछ पटरी पर आ जाएगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की साप्ताहिक प्रस्तुति व्यापार गोष्ठी में इस बार का विषय ‘सत्यम सौदा होने से मिटेगा आईटी जगत पर लगा धब्बा’ भी इससे ही जुड़ा था।
गोष्ठी में भाग लेने वाले पाठकों की मिली-जुली राय है। कुछ का मानना है कि टेक महिंद्रा के कदम से सत्यम के बारे में अनिश्चितता दूर हुई है और आईटी पर लगा धब्बा भी काफी हद तक धुल गया है। दूसरे पाठक वर्ग का मानना है कि राजू ने सत्यम के जरिये इंडिया इंक की पीठ पर जो चोट की है, उसके निशान मिटने में कम से कम कुछ अरसा तो जरूर लगेगा।
