देश की वित्तीय राजधानी कहलाने वाले मुंबई का रियल्टी बाजार कोरोनावायरस की चपेट में आ गया है। कोविड-19 महामारी के कारण आई आर्थिक सुस्ती ने शहर के ज्यादातर इलाकों में जायदाद की कीमतें गिरा दी हैं। यहां दादर इलाके की रहने वाली रियल एस्टेट ब्रोकर सुधा कुमारी बताती हैं कि डेवलपर इस वक्त 40,000 रुपये प्रति वर्ग फुट पर भी मकान बेचने को तैयार हैं, जबकि पिछले साल इसी समय 50,000 रुपये वर्ग फुट से एक पाई भी कम करने को वे तैयार नहीं थे। इस तरह 2019 के मुकाबले रियल्टी के भाव 20 फीसदी तक लुढ़क गए हैं।
सुधा बताती हैं कि डेवलपर परियोजनाओं के वास्ते लिए गए कर्ज के बोझ से परेशान हैं और मांग में सुस्ती देखकर वे कम कीमतों पर भी मकान-दुकान बेचने को तैयार हो गए हैं। मुश्किल यह है कि दाम इतने गिराने के बाद भी खरीदार उन्हें पूछ नहीं रहे हैं। दादर के ही रियल एस्टेट निवेशक सुनील सोलंकी ने कहा कि जब तक कीमतें 30 फीसदी नीचे नहीं आतीं, वह डेवलपरों के पास फटकेंगे भी नहीं। उन्होंने कहा, ‘रियल एस्टेट संपत्ति खरीदने के लिहाज से यह अच्छा वक्त है मगर मुझे नहीं लगता कि कीमतों में गिरावट थमेगी। अभी दाम और कम होंगे।’
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण पिछले तीन महीने से रियल्टी बिक्री ठप ही पड़ी है। इसीलिए मुंबई के मुख्य आवासीय बाजारों में संपत्तियां कम कीमत पर बिक रही हैं। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में मुंबई महानगर क्षेत्र में बिक्री 61 फीसदी घट गई है। पिछली छमाही के मुकाबले इसमें 51 फीसदी गिरावट है। इस इलाके में 2,09,560 तैयार इकाइयां ग्राहकों की बाट जोह रही हैं। इतनी अनबिकी रियल एस्टेट देश में कहीं और नहीं है।
एक स्थानीय ब्रोकर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि दक्षिण मुंबई में रियल्टी का भाव पिछले साल 1 लाख रुपये वर्ग फुट तक पहुंच गया था मगर इस साल उसमें 20-25 फीसदी गिरावट हो चुकी है। पिछले करीब दस साल में रियल्टी में इतनी बड़ी गिरावट शायद नहीं आई। ब्रोकर बताते हैं कि मध्य मुंबई में डेवलपर कर्ज से दबे पड़े हैं और ठाणे जैसे इलाकों में जरूरत से ज्यादा मकान होने की वजह से कीमतें घटाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है।
रियल एस्टेट पर नजर रखने वाली फर्म सीआरई मैट्रिक्स के इस वक्त देसी रियल एस्टेट पर 8.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज चल रहा है और पिछले वित्त वर्ष में ही 1.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज मंजूर किए गए हैं। इस कर्ज में से 42 फीसदी मुंबई महानगर क्षेत्र में ही लिया गया है।
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि नवी मुंबई की हालत बेहतर है और मध्य उपनगरीय इलाकों की तुलना में पश्चिमी उपनगरों में बिना बिकी संपत्तियां और छूट कम हैं। एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने इसी अप्रैल में कहा था कि डेवलपरों को मकानों की कीमतों में 20 फीसदी तक कमी के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने डेवलपरों को ग्राहकों की पसंद की कीमत पर मकान बेचकर नकदी हासिल करने की सलाह भी दी थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की भी यही राय थी। उन्होंने डेवलपरों से बाजार सुधरने का इंतजार करने के बजाय कीमत घटाने और मकान बेचने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था, ‘जब तक आप कीमत नहीं घटाते, आपकी संपत्ति बिना बिके पड़ी रहेगी। आप हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहिए और कर्ज चुकाने में चूक कर जाइए या जो कीमत मिले, उस पर बेच दीजिए।’
ब्रोकरों को कीमत घटती दिख रही हैं। मुंबई और ठाणे के नामी ब्रोकर रुद्रम रियल्टर्स के प्रबंध निदेशक विनीत मतलानी ने कहा, ‘ठाणे में कीमत 20-25 फीसदी नीचे आ चुकी है। सभी डेवलपर कीमत घटा चुके हैं। अगर आप पूरी रकम फौरन दें तो और भी छूट मिल सकती है। केवल कीमत की वजह से ग्राहक को नाखुश कोई नहीं करेगा।’ उन्होंने बताया कि लोढ़ा, कल्पतरु, पीरामल रियल्टी समेत तमाम नामी-गिरामी डेवलपर छूट दे रहे हैं।
कई ब्रोकर मानते हैं कि बढ़ी हुई कीमतों की वजह से पिछले पांच-छह साल से रियल्टी को कम ग्राहक मिल रहे हैं। इसी से परेशान होकर और बिक्री बढ़ाने के लिए डेवलपर कीमत कम कर रहे हैं। मुंबई के पश्चिमी उपनगर में प्रमुख कंसल्टेंट राजेश मेहता ने कहा, ‘इस समय बाजार ग्राहक के इशारे पर चल रहा है। डेवलपर कुछ भी करने को तैयार हैं। सब कुछ ठप पड़ा है। बिक्री नहीं हो रही, सौदे नहीं हो रहे और रजिस्ट्री भी नहीं हो रहीं। हालत बिगड़ती जा रही है। किसी को नहीं पता कि हो क्या रहा है।’ बहरहाल देश भर में पैठ वाले बड़े रियल्टर कीमत कम होने की बात नहीं मानते। टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्य अधिकारी संजय दत्त ने कहा, ‘जिस दिन रियल एस्टेट की कीमतें 20 फीसदी नीचे आएं, समझ लीजिए कि ग्राहक उन्हें खरीद ही नहीं पाएंगे। उसका मतलब होगा कि जीडीपी कम है, रोजगार में बड़ी असुरक्षा है और महंगाई है और ब्याज दरें कम हैं।’
