महाराष्ट्र और दिल्ली के संबंध में सोचिए। इन दोनों में क्या बात समान है? ये दोनों ही ऐसे दलों द्वारा प्रशासित हैं जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोधी हैं और दोनों ही कोविड-19 के सबसे संक्रामक रूप से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद रणनीतियां पूरी तरह से अलग हैं। महाराष्ट्र में दृष्टिकोण है – कोविड-19 प्रबंधन के बाद राजनीति और व्यवस्था से निपटना। दिल्ली में राजनीति है कोविड-19 और कोविड-19 का प्रबंधन है राजनीति।
अक्टूबर के आखिर से दिल्ली कोविड-19 के मामलों की संख्या में अभूतपूर्व उछाल की गिरफ्त में जिसे शहर में तीसरी लहर के रूप में देखा जा रहा है। पहली दो लहर क्रमश: जुलाई और सितंबर में आई थीं। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मानते हैं कि तीसरी लहर है, लेकिन कहते हैं कि चरम समाप्त हो चुका है। लेकिन यह बात आप कभी नहीं बता सकते हैं। इसलिए सार्वजनिक रूप से मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये कर दिया गया है। शादी-विवाह का सत्र करीब आने की वजह से आप सरकार ने अपने उस आदेश पर पुन: विचार किया है जिसमें 200 मेहमानों को शादी-विवाह में आने की अनुमति दी गई थी और अब केवल 50 मेहमानों की ही अनुमति है। नदी किनारे पूजन के साथ-साथ सामूहिक छठ पूजा उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
भाजपा ने इसे लपकने की कोशिश की, लेकिन केजरीवाल का रुख साफ-स्पष्ट रहा। उन्होंने उत्सव से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘मैं क्यों नहीं चाहूंगा कि दिल्ली वाले छठ उत्सव मनाएं? यह शुभ अवसर होता है और लोगों को इसे मनाना चाहिए, लेकिन अपने घरों के अंदर। तालाबों और अन्य जल स्थलों पर बाहर इक_े न हों, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल सकता है। मैंने सभी दलों से कहा कि कोविड-19 के मामले बढऩे वाला यह समय दिल्ली के लोगों के लिए मुश्किल है। यह राजनीति का समय नहीं है, इसके लिए पूरा जीवन पड़ा है। कुछ दिनों के लिए हमें राजनीति और आरोपों को एक तरफ रख देना चाहिए। यह लोगों की सेवा करने का समय है।’
लेकिन कहना आसान और करना मुश्किल होता है। हालांकि छठ पूजा खत्म हो चुकी है, लेकिन अगला बड़ा सवाल आजीविका बचाने का है। इस वैश्विक महामारी के प्रकोप के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने प्रमुख बाजारों को बंद करने की अनुमति मांगते हुए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह लॉकडाउन नहीं है, लेकिन इस कदम से विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पिछले सप्ताह आयोजित सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने कहा था कि वह पूरी तरह से लॉकडाउन के विरोध में है। भाजपा हिचकती रही, अंतत: अगर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लॉकडाउन के लिए सहमत हो गई, तो स्थानीय भाजपा इसका विरोध करती नहीं दिखती। दूसरी ओर यह आप सरकार की आलोचना करने का मौका कैसे गंवा सकती थी। इसलिए पार्टी ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया जिसमें उसने पूछा कि आप सरकार सो क्यों रही थी, अगर वह काम कर रही होती, तो शायद दिल्ली को उस दुर्दशा का सामना नहीं करना पड़ता, जिसमें वह अब फंसी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में राजनीति की स्थिति आप के लिए ठीक है। जब-तब उसे इस आरोप का सामना करना पड़ा है कि वह शाहीन बाग और अन्य क्षेत्रों में मुसलमानों के साथ नहीं खड़ी थी, खास तौर पर राजधानी में हुए दंगों के बाद, क्योंकि वह अपना हिंदू समर्थन नहीं खोना चाहती है। आप ने इसका कोई बचाव नहीं किया। इसकी नीति हमेशा से ही ‘काम की राजनीति’ रही है और कोविड संकट से इसका राजनीतिक प्रबंधकों के समूह वाला चेहरा सामने आया है जो विचारधारा के बजाय शासन के जरिये खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
