पिछले साल मार्च में पहली बार लॉकडाउन लगाए जाने के बाद देश में कार्यस्थलों पर जाने वालों की तादाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। सर्च इंजन गूगल के मोबिलिटी डेटा के मुताबिक कार्यस्थलों पर यह तादाद कोविड से पहले के स्तर के 90 फीसदी तक पहुंच चुकी है। इसमें अनाम लोकेशन डेटा का इस्तेमाल कर यह जायजा लिया जाता है कि महामारी के दौरान लोगों की गतिविधियां कैसी हैं। डेटा अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। ताजा आंकड़े 7 सितंबर के हैं। खुदरा दुकानों और मनोरंजन स्थलों पर जाने वाले लोगों की तादाद में भी बढ़ोतरी हुई है। किराना और दवा दुकानों पर जाने वालों की तादाद में भी पिछले हफ्ते बढ़ोतरी दिखी है।
रविवार 12 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में उससे पिछले हफ्ते की तुलना में यातायात में बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक लोकेशन तकनीक कंपनी टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़े दर्शाते हैं कि महानगरों में सामान्य दौर के मुकाबले अब यातायात 80 फीसदी तक है। मुंबई में यह सामान्य दौर के स्तर के 81 फीसदी (उससे पिछले हफ्ते 77 फीसदी)पर जबकि दिल्ली में यातायात 88 फीसदी (उससे पिछले हफ्ते 83 फीसदी) रहा।
बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का जायजा लेता है। इस गैस का उत्सर्जन औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों की वजह से होता है। इसमें बढ़ोतरी का मतलब यह है कि ज्यादा कारखानों में काम हो रहा है और अधिक वाहन सड़क पर हैं। ताजा हफ्ते में दिल्ली के उत्सर्जन स्तर में मामूली बढ़ोतरी हुई लेकिन यह 2019 की समान अïवधि के मुकाबले एक-तिहाई से काफी कम रहा। मुंबई के उत्सर्जन में भी एक हफ्ते पहले के मुकाबले कमी आई है। भारतीय रेलवे और बिजली उत्पादन में कमी के संकेत दिखे हैं।
रेलवे द्वारा की जाने वाली माल-ढुलाई पिछले साल की समान अïवधि के मुकाबले 5.8 फीसदी अधिक है। उससे पिछले हफ्ते वृद्धि अधिक (11.3 फीसदी) थी। माल ढुलाई से होने वाली कमाई के आंकड़े की वृद्धि भी 15.4 फीसदी से घटकर ताजा हफ्ते में 12 फीसदी हो गई। देश में बिजली की मांग में लगातार तीसरे हफ्ते कमी आई है और अब यह अगस्त के मध्य के 450 करोड़ यूनिट प्रतिदिन के उच्चतम स्तर से 12-13 फीसदी कम है। हफ्ते के दौरान औसतन करीब 400 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ। बिजली उत्पादन की वृद्धि पिछले हफ्ते एक अंक में सिमट गई। महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था किस तरह प्रभावित हो रही है इसका जायजा बिज़नेस स्टैंडर्ड इन साप्ताहिक संकेतकों के जरिये लेता है।
वृहद अर्थव्यवस्था से जुड़े आधिकारिक आंकड़े आने से पहले इन संकेतकों के जरिये आर्थिक सुधार का अंदाजा मिल जाता है आधिकारिक आंकड़े लंबे अंतराल के बाद ही जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक समान तरह के संकेतकों का जायजा ले रहे हैं क्योंकि विभिन्न देशों में कोविड-19 पर नियंत्रण करने के लिए लॉकडाउन लगाए गए थे। सभी डेटा रविवार, 12 सितंबर के हैं, केवल गूगल के डेटा 7 सितंबर के हैं।