बीएस बातचीत
केंद्र में जलशक्ति मंत्रालय के गठन के बाद उत्तर प्रदेश पहला राज्य था जहां अलग विभाग बनाकर पानी से संबंधित सभी विषयों को इसमें शामिल कर दिया गया था। भूजल, जल संसाधन, सिंचाई, लघु सिंचाई जैसे तमाम विभाग इस अकेले मंत्रालय के दायरे में लाए गए। बीते चार सालों में ही प्रदेश में जलशक्ति विभाग के तहत सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल, भूजल का स्तर सुधारने और गंगा सहित कई नदियों की दशा सुधारने के लिए अनेक योजनाएं चलाई गईं। इन्हीं कार्यकलापों पर सिद्धार्थ कलहंस की प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह से बातचीत के संपादित अंश:
गंगा नदी की दशा सुधारने के लिए चलाई गई नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश में अब तक क्या कुछ हुआ?
गंगा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 1,250 किलोमीटर की लंबाई में बहती है। प्रदेश में करीब 400 नालों का दूषित जल गंगा में गिरता था। नमामि गंगे परियोजना के तहत केंद्र में मोदी सरकार बनते ही उत्तर प्रदेश में 45 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का फैसला किया गया। इस पर असल में काम प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद 2017 में शुरू हो पाया। अब तक 17 एसटीपी लग गए जबकि 16 पर काम चल रहा है। वहीं आठ अन्य एसटीपी के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है। देश का कुख्यात सबसे बड़ा नाला सीसामऊ कानपुर को पूरी तरह से बंद कर अब वहां गंगा पर अटल घाट बन गया है। इसी का नतीजा है कि गंगा नदी में न केवल घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है बल्कि यहां जलीय जीवों की संख्या भी बढ़ी है।
जनता को भी गंगा सफाई के अभियान से जोडऩे से प्रयास हुए हैं क्या?
गंगा के किनारों पर बसे 21 नगरीय क्षेत्र, 1,038 ग्राम पंचायतों में सभी को खुले में शौच मुक्त कर दिया गया है। योगी सरकार ने जनता के सहयोग से गंगा यात्रा निकाली और लोगों को इसे साफ रखने के लिए जागरूक किया। प्रदेश सरकार के सहयोग से गंगा के दोनों किनारों पर जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है और फलदार पेड़ लगाने में सहयोग किया जा रहा है। नदी के किनारे खेती करने वाले लोगों को न केवल पेड़ दिए जा रहे हैं बल्कि उन्हें पांच साल तक के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। मेरा मानना है कि नदियों की सफाई बिना जनता के सहयोग के संभव नहीं है और जलशक्ति विभाग उसी के लिए काम कर रहा है।
गंगा से इतर नदियों की दुर्दशा है। इस पर क्या काम किया गया है?
हमने केवल नदियों ही नही बल्कि तालाबों और कुओं पर भी काम किया है। बीते सालों में जहां पांच बड़ी नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया है, वहीं इस बार 15 नदियों का लक्ष्य है। जनसहभागिता के साथ यह काम किया जा रहा है। हमने 2018-19 में 20,000 तालाबों को पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार किया या नए बनवाए। हमने सालों से सूखे पड़े कुओं को भी रिचार्ज करने का काम शुरू कर दिया है। पंचायतों की इसमें बड़ी भागीदारी है।
उत्तर प्रदेश में भूजल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है। सरकारी प्रयास कितने कारगर रहे हैं?
इस मामले में आप अकेले बुंदेलखंड का उदाहरण देख लें। अब वहां का भूजल का स्तर 5 से 10 मीटर तक ऊपर आ गया है। हैंडपंपों के सूखने की समस्या न के बराबर मिल रही है। केंद्र सरकार की अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के 10 जिले लिए गए थे जिसमें बुंदेलखंड के छह जिले झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट शामिल थे जबकि पश्चिम के मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ व शामली इसके तहत लाए गए थे। इन जिलों के 550 पंचायतें व 26 ब्लाक अटल भूजल योजना से कवर किए जा रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलों में अपने स्तर से यह योजना लागू कर काम शुरू कर दिया है। हमारी सरकार ने भूजल प्रबंधन विनियम अधिनियम पारित किया और अब भूजल दोहन को लेकर सरकार सख्त है।
बाढ़ की तबाही आम है उत्तर प्रदेश में और साल दर साल यह स्थिति बनी रहती है?
आपने बीते साल बाढ़ तो जरूर सुनी होगी पर इससे होने वाली जन-धन हनि के समाचार न के बराबर सुने होंगे। पहली बार हमारी सरकार ने नदियों की ड्रेजिंग बरसात के सीजन के पहले ही शुरू कर दी। प्रदेश में पहली ही बार बाढ़ की परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है। गांव के नालों की सफाई का काम शुरू किया गया है। कुल मिलाकर हमने बाढ़ के पहले और बाद में भी इस समस्या से निपटने का काम जारी रखा है जिसके नतीजे दिखाई दे रहे हैं।