भारत में खुदरा कारोबार की डगर पकड़कर चांदी काटने का सपना देख रही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चेन कार्फू एसए को पिछले छह साल की मशक्कत के बावजूद कोई साथी नहीं मिल पाया है।
इस समूह ने भारती एंटरप्राइजेज, एवी बिड़ला ग्रुप, वाडिया ग्रुप और रिलायंस लिमिटेड समेत भारत के करीब 50 व्यावसायिक घरानों से बातचीत की लेकिन सारी कसरत बेकार साबित हुई। यहां तक कि इस फ्रेंच कंपनी ने अपने भारतीय साथी की खोज के लिए तीन अधिकारी नियुक्त कर डाले लेकिन सब बेनतीजा।
वाडिया ग्रुप के साथ कार्फू के गठजोड़ की संभावना की खबर तो खुद वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ ने दी थी लेकिन बातचीत बीच में ही टूट गई। कार्फू इंडिया के प्रबंध निदेशक हर्व क्लेच कहते हैं कि किसी भी नए बाजार में कदम रखने से पहले एक खुदरा कारोबारी के लिए बाजार के हालात को भांपना बहुत जरूरी है।
कंपनी अब भारतीय रियल एस्टेट खिलाड़ियों के साथ गठजोड़ की कोशिशें कर रही है और फ्रेंचाइजी पार्टनरशिप के लिए दिल्ली की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों डीएलएफ लिमिटेड व पार्श्वनाथ के साथ उसकी बातचीत चल रही है। कार्फू के अलावा एक दूसरा विदेशी नाम, जो भारतीय खुदरा बाजार में उतरने को बेताब है, वह है ब्रिटिश सुपरमार्केट चेन टेस्को जिसने एक साल तक भारती के साथ बातचीत की लेकिन नतीजा सिफर रहा।
हालांकि टेस्को की कोशिशें अभी भी जारी हैं। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि भारतीय बाजार संभावनाओं से भरा है। टेस्को बाजार के बारे जानकारी हासिल कर रही है और पार्टनरशिप के लिए भी बातचीत जारी है। हालात देख ऐसा लगता है कि वॉलमार्ट ने देर जरूर कर दी है लेकिन अभी ज्यादा देर भी नहीं हुई है। टेक्नोपैक के अध्यक्ष सिंघल कहते हैं कि अगर भारती-वॉलमार्ट का स्टोर खुलने में एक साल का भी समय लगता है तो भी वह शायद प्रतियोगिता में रहेगी। (समाप्त)