एवर गीवन जहाज के स्वेज नहर में फंसे होने की घटना फिलहाल ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग और एस्सार शिपिंग जैसी भारतीय नौवहन कंपनियों के लिए अधिक चिंता की बात नहीं है हालांकि, यदि यह स्थिति एक हफ्ते से अधिक समय तक बनी रहती है तो भारतीय व्यापार पर इसका असर पड़ सकता है। एवर गीवन 2018 में निर्मित एक कंटेनर जहाज है।
एस्सार शिपिंग के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रंजीत सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इस घटना का प्रत्यक्ष रूप से हम पर असर नहीं है क्योंकि हमारे सभी जहाज भारत के आसपास और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में हैं। हमें थोड़े समय तक रुककर इसके अप्रत्यक्ष असर को देखने की जरूरत है क्योंकि जहाजों की कमी पडऩे पर भाड़े में इजाफा हो सकता है।’ एस्सार शिपिंग के पास 12 जहाजों का बेड़ा है जिसकी कुल लदान क्षमता 11.2 लाख टन (डीडब्ल्यूटी) है।
इस मामले से अवगत एक सूत्र ने कहा कि दूसरी तरफ ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग अभी भी इसके प्रभाव का आकलन कर रही है। सिम्पसन स्पेंस यंग (एसएसवाई) में टैंकर अनुसंधान के वरिष्ठ निदेशक क्लैरी गैरीसन ने कहा, ‘जहाज के फंसने से अधिक असर स्वेजमैक्स क्षेत्र पर पड़ रहा है जहां दरें बढऩी शुरू हो गई और जाम लंबा खिंचने पर बहुत तेजी से जहाज आपूर्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ेगा। इस खंड में कुछ जहाज पूर्व में यात्रा को पूरा करने के बाद काला सागर या भूमध्य सागर से कार्गो उठाने के लिए फिर से एशिया जाएंगे जिसके लिए उन्हें स्वेज नहर से उत्तर की ओर जाना होगा। ऐसे में नहर के लंबे समय तक बाधित रहने का इस यात्रा शृंखला पर भारी असर पड़ेगा।’
एस्सार शिपिंग के बेड़े में एक दोहरे पेंदी वाला बड़े आकार का क्रूड वाहक, छह छोटे केपेसाइज जहाज, एक पैनामैक्स थोक वाहक, दो सुपरमैक्स थोक वाहक और दो सामान्य कार्गो जहाज हैं। वहीं क्रूड ऑयल खंड में ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के पास चार स्वेजमैक्स और पांच एफ्रामैक्स जहाज हैं।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि समग्र व्यापार के संदर्भ में आगे चलकर भारत को कुछ धक्का लग सकता है।
फ्रेटवाला के सह संस्थापक संजय भाटिया ने कहा, ‘भारत वापस आ रहे जहाजों पर कम से कम लघु अवधि में असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, गतिरोध को लंबा खिंचने की स्थिति में भारत से निर्यात कार्गो को लेकर जाने वाले ऐसे जहाहज जो पूर्व से पश्चिम की ओर जाएंगे, एशिया से यूरोप जाएंगे उन्हें देरी का सामना करना पड़ सकता है।’
