तंबाकू लॉबी के दबाव में काम करने के आरोपों का जोरदार जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया।
सरकार का कहना है कि 31 मई तक सिगरेट और तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को अपने पैकेटों पर चेतावनी को चित्र के जरिये भी प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इस मामले में समयसीमा बिलकुल भी नहीं बढ़ाई जाएगी। हलफनामे पर अदालत ने कहा कि देश की कोई भी अदालत इस फैसले को नहीं पलट सकेगी।
तंबाकू के खिलाफ मोर्चा खोले एक गैर सरकारी संगठन ‘हेल्थ फॉर मिलियन्स’ की मुहिम के साथ कदमताल करते हुए सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने उच्चतमय न्यायालय में हलफनामा पेश किया। हलफनामा न्यायमूर्ति बी एन अग्रवाल और न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की खंडपीठ के समक्ष पेश किया गया।
तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कई कंपनियां इस मामले में अदालत में मौजूद थीं। अपनी पैकेजिंग नीतियों पर उन्होंने तर्क भी रखे। लेकिन फैसले के बाद उन्होंने यही कहा कि वे कानून के दायरे में रहकर ही काम करेंगे।
‘हेल्थ फॉर मिलियन्स’ की अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस मामले में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह तंबाकू लॉबी के दवाब में इस मामले में ढील देती आई है। उनके मुताबिक कई बार तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर चित्रों के जरिये चेतावनी जारी करने की बात तय हुई लेकिन इनको सही दिशा में क्रियान्वित नहीं किया गया।
इस मामले में उच्चतम न्यायालय का आज का फैसला अंतरिम ही है और याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी।
