आर्थिक मंदी, और ऊपर से चुनाव। ऐसे में ज्योतिषी या भविष्य वक्ताओं का कारोबार दोगुना हो जाए तो क्या आश्चर्य। और ऐसा हो भी रहा है।
चुनाव के दौरान हर नेता चाहे वह किसी पार्टी का हो, टिकट लेने से लेकर जीतने तक के लिए पूजा पाठ, ज्योतिष, यंत्र-तंत्र व मंत्र का सहारा ले रहा है। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों की पूछ के साथ कमाई बढ़ना लाजिमी है।
कुंडली देखने से लेकर हस्त रेखा देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और ऐसा सिर्फ इसलिए कि यह विशुध्द कारोबार बन चुका है। चुनावी समर को भुनाने के लिए पोस्टर, बैनर, छापने वालों की तरह ये ज्योतिष भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
जाने-माने एक ज्योतिषी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘ज्योतिष का कारोबार शुरू करने के लिए चुनाव सबसे अच्छा समय होता है। जो भी नए ज्योतिषी होते हैं या फिर इस क्षेत्र में कदम रख रहे होते हैं वे अपनी दुकानदारी जमाने के लिए इस दौरान हर प्रकार का हथकंडा अपनाते हैं। अखबार में विज्ञापन देने से लेकर पैसे देकर टेलीविजन पर अपनी भविष्यवाणी करने तक।’
भविष्य वक्ताओं के मुताबिक बड़े नेता तो बड़े ज्योतिषी के पास जाते हैं और उनके पास जाना हर नेता के वश की बात नहीं होती है। लिहाजा छोटे नेताओं को रिझाने के लिए कई नवसिखुआ ज्योतिषाचार्य अखबारों में विज्ञापन देते हैं और अपने चेलों के माध्यम से चुनाव लड़ने या टिकट पाने के इच्छुक उम्मीदवारों से संपर्क करते है। फीस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि मुफ्त में अब कोई सेवा नहीं होती।
कोई ज्योतिष सीधे तौर पर पैसे की मांग करते हैं तो कुछ संबंधों को सुदृढ़ करते हैं। ज्योतिष विद्या के विशेषज्ञ समीर उपाध्याय कहते हैं, ‘भविष्यवाणी या ज्योतिष मदद के बदले बड़े राजनेताओं से संबंध मजबूत करने वाले ज्योतिषचार्यों को पता होता है इन नेताओं से एक बार में 50,000 रुपये लेने से ज्यादा फायदेमंद सौदा उनसे आजीवन संबंध बनाना होता है। फीस की कोई सीमा नहीं होती है और यह 1000 रुपये भी हो सकती या 50,000 रुपये भी।’
हालांकि एस्ट्रो ज्योति, एस्ट्रो इंडिया, ज्योतिष डॉट कॉम जैसी कॉरपोरेट वेबसाइटों पर हर सवाल के जवाब की कीमत लिखी होती है। और एक सवाल पूछने की कम से कम कीमत 1000 रुपये तक रखी गयी है। उपाध्याय कहते हैं, ‘निश्चित रूप से पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में ज्योतिषियों का कारोबार दोगुना हो गया है।
हालांकि असंगठित क्षेत्र होने के कारण इस बात का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि यह कारोबार कितने करोड़ या कितने लाख रुपये का है।’ एक ज्योतिषी से यह पूछने पर कि चुनाव के दौरान वे कितने व्यस्त है, उन्होंने क हा कि यह पूछिये कि वे नेताओं के साथ कितने व्यस्त है।
उनके इस जवाब से जाहिर है चुनाव के दौरान नेता को भविष्यवक्ता को ज्योतिषियों को नेता अच्छे लगने लगते हैं। हालांकि ज्योतिषाचार्य अजय भांबी कहते हैं,’चुनाव के दौरान भीड़ की कोई बात नहीं है। जो कोई तकलीफ में होता है वह ज्योतिष के जानकारों के पास जाता है।’
