पेगासस जासूसी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करानी चाहिए। चिदंबरम ने सवाल किया कि अगर फ्रांस, इजरायल पेगासस जासूसी मामले की जांच के आदेश दे सकते हैं तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता। इस बीच माकपा के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने अदालत की निगरानी में इस मामले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। ब्रिटास ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर आरोपों की जांच कराने के लिए परवाह तक नहीं की और इस संबंध में संसद में प्रश्न उठाने पर सरकार ने स्पाईवेयर द्वारा जासूसी से न तो इनकार किया और न ही स्वीकार किया है।
चिदंबरम ने कहा कि जेपीसी के जरिये जांच कराई जाए या सरकार को उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं। चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि जेपीसी द्वारा जांच, सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की जांच से अधिक प्रभावी हो सकती है। उन्होंने कहा कि जेपीसी को संसद द्वारा अधिक अधिकार मिलता है।
पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘संसदीय समिति के नियम ज्यादा सख्त हैं। उदाहरण के लिए वे खुले तौर पर सबूत नहीं ले सकते हैं लेकिन एक जेपीसी को संसद द्वारा सार्वजनिक रूप से साक्ष्य लेने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों को तलब करने का अधिकार दिया जा सकता है इसलिए मुझे लगता है कि एक जेपीसी के पास संसदीय समिति की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां होंगी।’ उन्होंने सरकार से सवाल किया, ‘यदि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया था तो इसे किसने हासिल किया? क्या इसे सरकार द्वारा या उसकी किसी एजेंसी द्वारा हासिल किया गया था?’
माकपा के ब्रिटास ने कहा कि यदि जासूसी सरकार द्वारा की गई है तो यह अनधिकृत तरीका है और अगर किसी विदेशी एजेंसी द्वारा जासूसी की गई है तो यह बाहरी हस्तक्षेप का मामला है और इससे गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को पेगासस जासूसी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और यह कहते हुए विपक्ष पर निशाना साधा कि उसके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी सवाल किया है कि पेगासस द्वारा नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की फंडिंग किसने की है।
हाल में मीडिया में आईं खबरों में दावा किया गया था कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों समेत करीब 300 भारतीयों की निगरानी करने के लिए किया गया। इस विवाद पर सरकार ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है।
