भारत ने कोविड-19 की वजह से टीकाकरण की बढ़ती मांग की वजह से सीरिंज और सुइयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन बच्चों के टीकाकरण के लिए सीरिंज, इंसुलिन और कोविड-19 टीकाकरण के लिए विशेष तरह की सुइयों की देश में मांग नहीं है ऐसे में उद्योग को उम्मीद है कि इनके निर्यात की अनुमति मिल सकती है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) का फैसला सोमवार को आया जिसके तहत भारत ने सिरिंज और सुइयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘सुई या उसके बगैर सीरिंज के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया गया है।’ इसका मतलब है कि एक निर्यातक को निर्यात के लिए लाइसेंस या सरकार से अनुमति लेनी होगी।
उद्योग का कहना है कि वे पिछले साल अक्टूबर से ही भविष्य की मांग को देखते हुए सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टता चाह रहे हैं। सरकार ने भी पिछले कुछ महीनों में थोक ऑर्डर दिए हैं। उदाहरण के तौर पर भारत की सबसे बड़ी सिरिंज निर्माता कंपनी, हिंदुस्तान सीरिंज ऐंड मेडिकल डिवाइसेज (एचएमडी) में से एक ने पिछले हफ्ते कहा था कि कंपनी को केंद्र से 13.25 करोड़ सीरिंज के नए ऑर्डर मिले हैं। यह सितंबर तक भारत सरकार को पहले ही 47.13 करोड़ सीरिंज की आपूर्ति कर चुका है। हालांकि, उद्योग के सूत्र बताते हैं कि टीकाकरण की बढ़ती गति की वजह से उत्पादन की तुलना में सीरिंज की मांग कहीं ज्यादा हो गई है। एक उद्योग सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘भारत के पास इस वक्त कोविड-19 टीकाकरण के लिए एक महीने तक की इन्वेंट्री है। ऐसे में सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए यह अंकुश लगाया है कि निर्यात पर नजर रखी जा सके।’ स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 4.5 करोड़ डॉलर या इससे अधिक मूल्य के सीरिंज का निर्यात किया था और इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच देश ने पहले ही 1.73 करोड़ डॉलर तक की सीरिंज का निर्यात किया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए, एचएमडी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव नाथ ने कहा कि भारत में टीके अब ऑटो-डिसेबल (एडी) सीरिंज की उत्पादन दर से अधिक है और इसका बफर स्टॉक भी अपर्याप्त तरीके से बनाया गया था। उदाहरण के तौर पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने अक्टूबर से एक महीने में कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका टीका) की 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की योजना बनाई है। इसकी तुलना में एचएमडी एक महीने में 9 करोड़ एडी सीरिंज बनाती है।
हालांकि, नाथ कहते हैं कि चूंकि यह पूर्ण प्रतिबंध नहीं है बल्कि निर्यात पर प्रतिबंध है ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि सरकार अफ्रीकी देशों आदि सहित कई देशों में बच्चों के टीकाकरण के लिए निर्यात की अनुमति देगी। ऐसे में संभव है कि इंसुलिन सीरिंज के निर्यात की अनुमति और कोविड-19 के विशेष सीरिंज के निर्यात की अनुमति भी मिल जाए।
नाथ कहते हैं, ‘फाइजर एमआरएनए टीका 0.3 मिलीलीटर एडी सीरिंज के इस्तेमाल से दिया जाता है। भारत में इसका कोई इस्तेमाल नहीं है। कुछ निर्माता इसकी आपूर्ति वैश्विक एजेंसियों को करते हैं। इनका निर्यात जारी रह सकता है।’
