छात्रों और विशेषज्ञों का कहना है कि प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए ऊपरी आयु सीमा खत्म करने के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के फैसले से न केवल देश में मेडिकल सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले भारतीयों को बल्कि विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक उम्मीदवारों को भी लाभ होगा।
एनएमसी ने भारत में एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों के लिए पिछले सप्ताह पात्रता मानदंडों में महत्त्वपूर्ण बदलाव शुरू किया। यह फैसला नियामक द्वारा अक्टूबर 2021 की एक बैठक में लिया गया था। एनएमसी ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को सूचित किया जो योग्यता परीक्षा आयोजित करता है और हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने भी इसकी घोषणा की।
नीट.यूजी के लिए सामान्य श्रेणी के लिए 25 वर्ष और आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए 30 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा तय की गई थी और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी 2017 में आयु सीमा निर्धारित कर दी। हालांकि छात्रों और अन्य हितधारकों ने तब उच्चतम न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी थी जिसके बाद 2018 में अदालत ने उन उम्मीदवारों को अस्थायी आधार पर परीक्षा देने की अनुमति दी जो पात्रता सीमा से अधिक उम्र के थे और जिनकी उम्मीदवारी लंबित याचिकाओं की वजह से प्रभावित हो सकती थी।
एनएमसी का नया फैसला ऐसे उम्मीदवारों के लिए एक राहत के रूप में आएगा जो प्रवेश परीक्षा में देरी या स्थगित होने की स्थिति में कट-ऑफ आयु से चूक गए होंगे जैसा कि 2020 और 2021 में हुआ। ऐसे उम्मीदवारों की संख्या का पता नहीं चल सका है। एनटीए के महानिदेशक डॉ विनीत जोशी से बार-बार प्रयास करने के बावजूद संपर्क नहीं हो सका।
शिक्षाविदों और मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि नीट-यूजी के लिए आयु सीमा हटाना अंतरराष्ट्रीय कवायद के अनुरूप है। स्नातक मेडिकल छात्रों के लिए डिजिटल लर्निंग और मूल्यांकन संसाधन, मणिपाल मेडेस के कारोबारी प्रमुख बालासुंदरम अत्रेया ने कहा, ‘नीट के लिए आयु मानदंडों में ढील देते हुए सरकार ने संकेत दिया है कि किसी व्यक्ति को मेडिकल में अपना करियर बनाने में कभी देर नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह चलन रहा है और अब शायद हमारी एमबीबीएस कक्षाओं में भी जरूरी आयु विविधता होगी।’
दूसरी ओर, विदेशी छात्रों का मानना है कि इस फैसले से विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई की योजना बना रहे लोग भी प्रभावित होंगे क्योंकि वे अब तैयारी में अधिक समय ले सकते हैं। एक विदेशी मेडिकल छात्रा शिवांगी सिंह ने बताया कि विदेशों में मेडिकल कोर्स की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है और उनके साथ पढऩे वाले साथी आमतौर पर उनसे बड़े होते हैं।
