अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की ओर से की जाने वाली मांग, घर से काम करने तथा स्टांप शुल्क और कुछ शहरों में अन्य शुल्कों में कटौती जैसे कारणों से लक्जरी अपार्टमेंटों की बिक्री में मजबूती आई है। एनारॉक प्रॉपर्टी कन्सल्टैंट्स का कहना है कि हालांकि इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान देश के सात प्रमुख शहरों मेंं आवासीय इकाइयों की बिक्री 33 प्रतिशत तक घटकर 42,250 इकाइयों के स्तर पर आ गई है, लेकिन दो करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी अपार्टमेंट की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत पर बनी हुई है।
लॉकडाउन की वजह से अप्रैल और मई की अवधि आवासीय डेवलपरों के लिए बेकार साबित हुई है। एनारॉक ने एक हालिया अध्ययन में कहा है कि दक्षिण-मध्य मुंबई के इलाकों में पिछले महीने 500 करोड़ रुपये के लक्जरी मकानों की बिक्री हुई है, जबकि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान लगभग 150 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी। इसका मतलब यह है कि इस साल 230 प्रतिशत से अधिक का सुधार हुआ है।
वर्ली, प्रभादेवी, महालक्ष्मी, तारदेव और लोअर परेल समेत दक्षिण-मध्य इलाकों में औसत बिक्री की शुरुआत चार करोड़ रुपये के साथ हुई है। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि दिसंबर 2020 तक तीन प्रतिशत की सीमित अवधि वाली शुल्क कटौती तथा जनवरी और मार्च 2021 के बीच दो प्रतिशत की शुल्क कटौती का मुंबई के अति-महंगे लक्जरी स्थानों पर भी असर पड़ा है। वर्तमान में डेवलपरों द्वारा की जाने वाली पेशकश से भी इन बाजारों में बिक्री बढ़ रही है।
केवल स्टांप शुल्क कटौती से ही खरीदारों को चार करोड़ रुपये वाली संपत्ति पर कम से कम 12 लाख रुपये बचाने की मदद मिली है और यह बचत संपत्ति की औसत लागत के साथ इसी अनुपात में बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे ग्राहकों पर इस विश्वव्यापी महामारी का प्रभाव कम ही दिखता है, क्योंकि खरीदार बड़े स्तर पर तैयार मकान खोज रहे हैं या उनकी तलाश पूरी होने वाली है।
दक्षिण मुंबई में पीरामल रियल्टी की लक्जरी परियोजना पीरामल महालक्ष्मी की बिक्री में दूसरी तिमाही के दौरान 100 प्रतिशत की उछाल नजर आई है। इसकी प्रमुख वजह एनआरआई द्वारा की जाने वाली खरीद रही है। कंपनी ने कहा कि इसमें सिंगापुर, यूएई और अमेरिका के एनआरआई का योगदान 40 फीसदी रहा है।
पीरामल रियल्टी के अध्यक्ष (विपणन एवं बिक्री) गौरव साहनी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और मौजूदा चुनौतियों के बावजूद हमने अनिवासी भारतीयों की जबरदस्त मांग देखी है। इसमें एक कारण घर वापसी में प्रॉपर्टी के मालिक होने की सुविधा है।
मुंबई स्थित रियल्टी फर्म सनटेक रियल्टी के दो करोड़ रुपये से अधिक दाम वाले 115 आवासीय अपार्टमेंट की बिक्री हुई है। दिल्ली समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अप्रैल से सितंबर के दौरान 7,300 अपार्टमेंट बेचे गए थे और इनमें से कम से कम सात प्रतिशत अपार्टमेंट लक्जरी खंड वाले थे।
पुरी ने कहा कि अगर हम अपने आंकड़ों के रुख पर नजर डालें, तो पिछले चार महीने के दौरान हमें दक्षिण दिल्ली के बाजारों में लक्जरी मकानों की पूछताछ में काफी बढ़ोतरी नजर आई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कई खरीदार इस उम्मीद के साथ आए हैं कि वे मोल-भाव के साथ सौदा कर सकते हैं। दक्षिण दिल्ली के बाजारों में वसंत विहार, वेस्टेंड, शांति निकेतन, आनंद निकेतन, हौज खास एन्क्लेव और पंचशील पार्क (एन ब्लॉक) जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पहले की तुलना में ग्राहकों की संख्या कम से कम दोगुनी है। लेकिन वह स्टॉक सीमित है जो इनमें से अधिकांश खरीदारों के लिए अच्छा नजर आता है। ये खरीदार ज्यादातर अंतिम उपयोगकर्ता हैं और इसलिए इनकी मांग विशिष्ट होती है। कम कीमत का प्रस्ताव दिए जाने पर भी वे कुछ और नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 400 से 800 वर्ग गज वाले क्षेत्र का मकान सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है और ज्यादातर तीसरी मंजिल पर बड़े छज्जे वाला मकान।
देश की सबसे बड़ी सूचीबद्ध डेवलपर कंपनी डीएलएफ को दूसरी तिमाही के दौरान तकरीबन 300 करोड़ रुपये की दर पर अपनी लक्जरी आवासीय बिक्री में 35 प्रतिशत की उछाल नजर आई है।
