केंद्र सरकार ने राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (एसपीएसई) के निजीकरण हेतु राज्यों को प्रोत्साहन देने की योजना बनाई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 23 में इस तरह के रणनीतिक विनिवेश से मिलने वाली 100 प्रतिशत धनराशि राज्यों को मुहैया कराने का वादा किया है।
बहरहाल यह पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर होगी और एक राज्य को अधिकतम 1,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। केंद्र सरकार ने संपत्ति मुद्रीकरण व एसपीएसई के विनिवेश के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह राज्यों को वित्त वर्ष 23 में मिलने वाले ब्याज रहित 1 लाख करोड़ रुपये कैपेक्स के अतिरिक्त होगा।
अप्रैल में राज्यों के लिए जारी 18 पृष्ठ के दिशानिर्देशों में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के एसपीएसई राज्य सरकार के बहुलांश मालिकाना और प्रबंधन नियंत्रण या राज्य व केंद्र सरकार के साझा नियंत्रण वाले होने चाहिए। साथ ही संगठन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के ऑडिट क्षेत्र के अधीन होना चाहिए। पूंजीगत व्यय का वृद्धि पर पड़ने वाले ज्यादा असर होने और महामारी के बाद राज्यों संसाधन मुहैया कराने के मकसद से पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता योजना की पेशकश पहली बार वित्त वर्ष 2021 में की गई और इसके लिए 12,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। वित्त वर्ष 22 में 15,000 करोड़ रुपये आवंटन के साथ यह योजना चालू रखी गई। इस धन को वित्तवर्ष 22 में 3 हिस्सों- पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों, सामान्य राज्यों और एपीएसई के विनिवेश करने और संपत्तियों का मुद्रीकरण करने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए बांटा गया।
अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री के माध्यम से एसपीएसई के विनिवेश को लेकर हाल के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022 में इस तरह की बिक्री से मिलने वाली राशि के 50 प्रतिशत के बराबर राज्यों को अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा। यह राशि राज्यों के संचित निधि में जमा की जाएगी।
